उत्तरकाशी: उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट (Uttarakhand Disaster Recovery Project) के भू-वैज्ञानिकों ने 18 जुलाई को जनपद में आई आपदा से प्रभावित गांव का स्थलीय निरीक्षण किया. इस टीम में मौजूद भूगर्भ वैज्ञानिक (geologist) और स्कोप स्टेबलाइजेशन एक्सपर्ट (slope stabilization expert) ने मस्ताड़ी गांव के सर्वे के बाद जियो फिजिकल (geo Physical) और जियो टेक्निकल सर्वे (geo technical survey) की बात कही है.
उन्होंने कहा कि इन दोनों सर्वे के बाद ही विस्थापन को लेकर पैरवी की जा सकती है. साथ ही कंकराड़ी गांव में भी 18 जुलाई के बाद आई आपदा के बाद करीब 15 भवनों को खतरा बना हुआ है.
बता दें कि, रविवार को मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोजेक्ट के भूगर्भ वैज्ञानिक जीवीआरजी आचार्ययुलु और स्लोप इस्टेबलाइजेशन एक्सपर्ट डॉ. मनीष सेमवाल ने बीती जुलाई को आई आपदा में प्रभावित मांडो, निराकोट, कंकराड़ी और मस्ताड़ी गांव का जिलोजिकल सर्वे किया. टीम ने बताया कि मस्ताड़ी गांव मलबे और पत्थरों के ऊपर होने के कारण अब मलबा नीचे जाने के कारण अब गांव में भू धसाव का खतरा बना हुआ है.
पढ़ें:'टोपीवार' के बीच हरदा की बलूनी को खुली चुनौती, रोजगार और विकास पर करें बहस
भूगर्भ वैज्ञानिकों ने बताया कि गांव में 1991 के भूकंप के समय प्राकृतिक स्रोतों ने अपना रास्ता बदला था और वह अब अपनी जगह बनाकर घरों से बाहर निकल रहा है. साथ ही कहा कि कंकराड़ी गांव में भी भूकंप का तेज झटका बड़ा खतरा बन सकता है. बता दें कि, बीती 18 जुलाई को मांडो, निराकोट, कंकराड़ी और मस्ताड़ी गांव में आपदा आई थी. इस आपदा में मांडो और कंकराड़ी के 4 लोगों ने जान गंवाई थी.