उत्तरकाशी:भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तनाव के बीच भेड़ पालकों के चार समूहों को नेलांग घाटी सहित अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे ऊंचाई वाले इलाकों में इनर लाइन में जाने की अनुमति मिल गई है. गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में अंग्रेजी शासन काल से ही आवाजाही के लिए इनर लाइन परमिशन लेना अनिवार्य होता था. हालांकि इस क्षेत्र में ग्रामीणों और पर्यटकों की आवाजाही पर रोक हैं, लेकिन यह भेड़ पालक गर्मियों में जिला प्रशासन और गंगोत्री नेशनल पार्क से इस प्रतिबंधित क्षेत्र में बकरियां और भेड़ चराने के लिए अनुमति लेते हैं.
डीएम डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि गंगोत्री नेशनल पार्क से भेड़ पालकों ने नेलांग घाटी और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बकरियों और भेड़ों के चुगान के लिए अनुमति मांगी है. अनुमति के लिए एसडीएम और गंगोत्री नेशनल पार्क को निर्देशित किया गया है. गंगोत्री नेशनल पार्क के उप निदेशक नन्दा वल्लभ शर्मा ने बताया कि 16 भेड़ पालकों को जो कि बगोरी गांव के निवासी हैं पार्क के अंतर्गत आने वाली नेलांग घाटी और अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे ऊंचाई वाले इलाकों में चुगान की अनुमति दी गई है. ये लोग भैरों घाटी से नेलांग की ओर निकल चुके हैं. एसडीएम भटवाड़ी देवेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि भेड़ पालकों के चार समूहों को इनर लाइन परमिशन दी गई है.
नेलांग घाटी को जानें
नेलांग जाने के लिए भैरवघाटी से 23 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. जादुंग, नेलांग से 16 किलोमीटर आगे है. जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से नेलांग की दूरी 113 किलोमीटर और जादुंग की दूरी 129 किलोमीटर है. दोनों गांव समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊंचाई पर नेलांग घाटी में हैं.