उत्तरकाशी: उत्तराखंड में मॉनसून हर साल कुछ ऐसे जख्म दे जाता है जो सालों तक हरे रहते है. ऊपर से सरकार की बेरुखी उन जख्मों पर नमक डालने की काम करती है. ऐसी ही कुछ कहानी है कि उत्तरकाशी जिले की अस्सी गंगा घाटी की, जहां 2012 की आपदा के जख्म आठ साल बाद भी नहीं भरे गए हैं.
अस्सी गंगा घाटी के चार गांव में साल 2012 में आपदा आई थी. इस दौरान इन चार गांवों को विश्व प्रसिद्ध डोडीताल ट्रैक को जोड़ने वाला पांच किमी पैदल मार्ग आपदा की भेट चढ़ गया था, लेकिन आज तक शासन-प्रशासन ने इस ट्रैक के मरम्मत करने की जहमत नहीं उठाई है. मॉनसून में तो ये ट्रैक और खतरनाक हो जाता है. मॉनसून में इस ट्रैक पर से गुजरने का मतलब जान जोखिम में डालना होता है.
आठ साल बाद भी नहीं भरे आपदा के जख्म. पढ़ें-पिथौरागढ़: रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए हेलीकॉप्टर की मांग, आफत में फंसी सैंकड़ों जान
अगोड़ा के ग्राम प्रधान मुकेश पंवार के मुताबिक आठ सालों से वन विभाग इस पैदल मार्ग को बनाने में बजट खर्च करता है, लेकिन मॉनसून आते ही ये पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो जाता है. यही कारण है कि ग्रामीण जान जोखिम में डालकर आवाजाही कर रहे हैं. खस्ताहाल मार्ग की वजह से पर्यटन ने भी डोडीताल से मुंह मोड लिया है. क्योंकि इस मार्ग पर जहां एक तरफ पहाड़ों से मौत बरसती है तो वहीं नीचे खाई में गिरने का खतरा बना रहता है.
सरकारी उपेक्षा से रुटे पर्यटक
बता दें कि नैसर्गिक सौंदर्य से भरपूर डोडीताल क्षेत्र पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. डोडीताल में सुंदर झील, दुर्लभ प्रजाति की मछलियां और बर्फीले बुग्याल पर्यटकों का पसंदीदा ट्रैक बनता है, लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते यहां उम्मीद के अनुरूप पर्यटक नहीं पहुंच पा रहे हैं.