टिहरी: एशिया की सबसे ऊंची टिहरी झील का जल स्तर 828 आरएल मीटर तक पहुंच गया है. वहीं उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने टिहरी झील का जल स्तर 830 आरएल मीटर तक भरने की अनुमति दे दी है. उत्तराखंड सरकार के इस फैसले से टीएचडीसी के अधिकारियों में खुशी की लहर है. क्योंकि टिहरी झील का जल स्तर बढ़ने से बिजली के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी.
टिहरी झील का जल स्तर 830 आरएल मीटर तक बढ़ाया गया कैबिनेट सतपाल महाराज ने कहा कि टिहरी झील के जलस्तर 828 आरएल मीटर तक ही अनुमति दी गई थी, जो पहुंच गया है. वहीं अब इसे बढ़ाकर 830 आरएल मीटर तक कर दिया गया है. सतपाल महाराज ने बताया कि उन्होंने 252 करोड़ की धनराशि टीएचडीसी से अवमुक्त करवाने के आदेश केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह से आग्रह किया था. अब विस्थापित होने वाले परिवारों को पैसे मिल रहे हैं.
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साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया है कि जो अधिकारी विस्थापन का पैसा बांटने में देरी करेंगे, उनको दंडित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि टिहरी झील के पीछे यहां के ग्रामीणों का बहुत बड़ा योगदान है. टिहरी के लोगों ने देश के विकास के लिए अपनी संस्कृति, जंगल, जमीन और विरासत को झील में समा दिया था. इसलिए इनके विस्थापन में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए.
कैबिनेट सतपाल महाराज ने बताया कि विस्थापन के लिए 252 करोड़ रुपए स्वीकृत हो चुके हैं. साथ ही कहा कि टिहरी झील के किनारे तल्ला उप्पू गांव की जो समस्याएं थी, उसका भी निराकरण कर दिया गया है. टिहरी बांध परियोजना ने ऊर्जा के क्षेत्र में बहुत बड़ा काम किया है. यह बहुत बड़ा ऊर्जा का केंद्र व ऊर्जा का मंदिर बना है. निश्चित तौर पर विस्थापितों की समस्याओं का हल होना चाहिए. साथ ही विस्थापित परिवारों के लिए 74 लाख प्रति परिवार के हिसाब से आवंटित करवाया है. उनको एकमुश्त रकम मिलनी चाहिए. साथ ही विस्थापित परिवारों से आग्रह है कि वह अपनी जमीनों की तत्काल रजिस्ट्री करवाएं, जिससे विस्थापन की समस्याओं में कोई व्यवधान न हो.