टिहरी: बीज बचाओ आंदोलन के संयोजक विजय जड़धारी ने अपना पूरा जीवन इस मुहिम में समर्पित कर दिया. आज भी वो पारम्परिक खेती और बीजों को बचाने में लगे हुए हैं और अब उनकी ये मुहिम सफल होती दिख रही है. विजय जड़धारी ने कई राज्यों का भ्रमण कर बीजों को एकत्रित किया. जड़धारी और उनके साथियों ने लगभग 350 धान की प्रजातियों की खोज की. विभिन्न घाटियों में गेंहू की 30 से 32 प्रजातियों को ढूंढा. जड़धारी को बीज बचाओ मुहिम के लिए इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
जिले के चंबा ब्लॉक के जड़धार गांव निवासी 66 वर्षीय विजय जड़धारी चिपको आंदोलन के साथ ही खनन विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका में रहे हैं. उसके बाद उन्होंने देखा कि हमारी पारंपरिक खेती खत्म हो रही है. इस कारण भूमि को नुकसान पहुंच रहा है, जिससे पौष्टिक फसलें बर्बाद हो रही हैं. लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं तो उन्होंने बीज बचाने का संकल्प लिया और बीज बचाओ आंदोलन की मुहिम छेड़ दी. 1985-86 से उन्होंने बीज बचाओ आंदोलन को सक्रिय करते हुए बीजों को एकत्र करना शुरू कर दिया था.