उत्तराखंड

uttarakhand

By

Published : Nov 12, 2019, 4:17 PM IST

Updated : Nov 12, 2019, 4:52 PM IST

ETV Bharat / state

उत्तराखंड के इस शख्स ने शुरू किया 'बीज बचाओ आंदोलन', कर डाली 350 धान की प्रजातियों की खोज

उत्तराखंड में धीरे-धीरे खत्म हो रही पारंपरिक खेती के चलते विजय जड़धारी ने एक मुहिम को चलाया. इस बीज बचाओ मुहिम के चलते विजय जड़धारी ने 350 धान की प्रजातियों की खोज की. साथ ही इस मुहिम को लगातार सफल बना रहे हैं.

बीज बचाओ का सपना साकार कर रहे विजय जड़धारी.

टिहरी: बीज बचाओ आंदोलन के संयोजक विजय जड़धारी ने अपना पूरा जीवन इस मुहिम में समर्पित कर दिया. आज भी वो पारम्परिक खेती और बीजों को बचाने में लगे हुए हैं और अब उनकी ये मुहिम सफल होती दिख रही है. विजय जड़धारी ने कई राज्यों का भ्रमण कर बीजों को एकत्रित किया. जड़धारी और उनके साथियों ने लगभग 350 धान की प्रजातियों की खोज की. विभिन्न घाटियों में गेंहू की 30 से 32 प्रजातियों को ढूंढा. जड़धारी को बीज बचाओ मुहिम के लिए इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.

जिले के चंबा ब्लॉक के जड़धार गांव निवासी 66 वर्षीय विजय जड़धारी चिपको आंदोलन के साथ ही खनन विरोधी आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका में रहे हैं. उसके बाद उन्होंने देखा कि हमारी पारंपरिक खेती खत्म हो रही है. इस कारण भूमि को नुकसान पहुंच रहा है, जिससे पौष्टिक फसलें बर्बाद हो रही हैं. लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं तो उन्होंने बीज बचाने का संकल्प लिया और बीज बचाओ आंदोलन की मुहिम छेड़ दी. 1985-86 से उन्होंने बीज बचाओ आंदोलन को सक्रिय करते हुए बीजों को एकत्र करना शुरू कर दिया था.

बीज बचाओ का सपना साकार कर रहे विजय जड़धारी.

ये भी पढ़ें:हरिद्वार: गुलदार की दस्तक से खौफजदा लोग, वन महकमे से की निजात दिलाने की मांग

जड़धारी की इस मुहिम से प्रेरित होकर अब अन्य लोग भी पारंपरिक उत्पादों की तरफ खींचे चले आ रहे हैं. ऋषिकेश-चंबा राजमार्ग पर खाड़ी में अरण्य रंजन ने तो फास्ट फूड सेंटर खोलने की बजाए अब पारंपरिक व्यंजनों का पहाड़ी रेस्टोरेंट खोला है. लोगों को पहाड़ी उत्पादों से बने हुए व्यंजन दिए जा रहे हैं, जिसे खासा पंसद भी किया जा रहा है और इससे कई लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.

टिहरी से शुरू हुई विजय जड़धारी की बीज बचाओ मुहिम अब धीरे-धीरे फैल रही है. साथ ही ये सफल होती भी दिखाई दे रही है, जिससे अन्य लोग भी इससे जुड़ रहे हैं. अपने पारंपरिक खाद्य पदार्थों से खेती को बढ़ावा मिल रहा है. वहीं, कई तरह की बीमारियों से भी निजात मिल रही है.

Last Updated : Nov 12, 2019, 4:52 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details