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रुद्रप्रयाग के वनों में आग की घटनाएं न के बराबर, इस खास तकनीक का इस्तेमाल कर रहा विभाग

प्रदेश में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग ही ऐसा है, जहां इन दिनों आग नहीं लगी है. यहां आग काबू पाने के लिए नये-नये प्रयोग किये जा रहे हैं. प्रभाग के उप वन संरक्षक वैभव कुमार सिंह भी रात-दिन जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए खुद मोर्चा संभाले हुए हैं. यही कारण है कि ये क्षेत्र वनाग्नि से बचा हुआ है.

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Published : Apr 11, 2022, 3:43 PM IST

Rudraprayag Forest Division
रुद्रप्रयाग वन प्रभाग

रुद्रप्रयाग:इन दिनों प्रदेश के कई जनपदों में वनाग्नि की घटनाएं सामने आ रही हैं. इन घटनाओं से जहां पर्यावरण पर खासा असर देखने को मिल रहा है, वहीं वन सम्पदा को भी लाखों का नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग की टीम तेजी से जंगलों में फैली आग पर काबू पाने का प्रयास कर रही है. रुद्रप्रयाग वन प्रभाग प्रदेश का ऐसा प्रभाग है, जहां आग की घटनाओं पर शीघ्रता से कार्य कर पर्यावरण को नुकसान से बचाया जा रहा है. यहां नये-नये प्रयोग किये जा रहे हैं. उप वन संरक्षक वनाग्नि पर काबू पाने के लिए खुद जंगलों में उतरे हुए हैं.

गर्मियां बढ़ते ही वनाग्नि की घटनाएं भी शुरू हो जाती हैं. प्रदेश के कई जनपदों में इन दिनों आग की घटनाएं सामने आ रही हैं, जिस कारण जंगल जंगल धू-धू करके जल रहे हैं और पर्यावरण पर इसका बुरा असर देखने को मिल रहा है. रुद्रप्रयाग वन प्रभाग की मेहनत से जंगल में लगी आग से प्राकृतिक वन सम्पदा को राख होने से बचाया जा रहा है. इससे रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के जंगल सुरक्षित नजर आ रहे हैं और यहां कोई बड़ी घटना भी नहीं घट रही है.
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प्रदेश में रुद्रप्रयाग वन प्रभाग ही ऐसा है, जहां इन दिनों आग नहीं लगी है. वन प्रभाग के भीतर एक सप्ताह में 18 से 20 स्थानों में आग लगने पर तेजी से कार्य किया गया और आग पर काबू पाया गया. प्रभाग के उप वन संरक्षक वैभव कुमार सिंह भी रात-दिन जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए खुद मोर्चा संभाले हुए हैं. उप वन संरक्षक ने बताया कि आग की सबसे ज्यादा घटनाएं वन पंचायत और सिविल भूमि में देखने को मिल रही हैं. विभाग की ओर से 28 क्रू स्टेशन बनाए गए हैं. साथ ही हर रेंज स्तर पर दो सचल दस्ते बनाये गये हैं, जो आग की घटनाओं पर नजर बनाये हुए हैं.

उन्होंने बताया कि वन प्रभाग ने अनूठा प्रयास करते हुए फॉरेस्ट फायर रुद्रप्रयाग एप व जूम पोर्टल बनाया है. इससे वनों में लगने वाली आग पर नजर बनाये रखने के साथ ही वनों के प्रकार, लोकेशन एवं वन अग्नि की स्थिति का पता चलता है. इसके साथ ही सचल दस्ते में मोबाइल फोन और जीपीएस ट्रैकर लगाये गये हैं. तीन से चार घंटे के भीतर अग्नि पर नियंत्रण पाया जा रहा है. वन प्रभाग रुद्रप्रयाग के उप वन संरक्षक ने बताया कि इस बार वन प्रभाग ने नया प्रयोग किया है, जिसमें सड़क मार्ग में पड़े पिरूल को कंप्रेशन मशीन से हटाया जा रहा है. यह प्रयोग करने वाला रुद्रप्रयाग जिला पहला जनपद है. सड़क में पिरूल गिरने के बाद गाड़ियों के धुंए व चिंगारी से आग लग जाती है. ऐसे में में कंप्रेसर मशीन से पिरूल को हटाया जा रहा है. प्रारम्भिक तौर पर तेजी से कार्य चल रहा है, इसके अच्छे परिणाम भी मिल रहे हैं.
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उन्होंने बताया कि अब तक जिले में जिन स्थानों पर आग की घटनाएं सामने आई हैं, वहां तेजी से कार्य करते हुए आग को बुझाया गया है. इन घटनाओं में जान-माल का कोई भी नुकसान नहीं हुआ है. उन्होंने आम जनता से अपील करते हुए कहा कि भारतीय वन अधिनियम के तहत वनों में आग लगाने पर सजा का प्रावधान है. ग्राम पंचायत प्रधान एवं सरपंच से अपील की गई है कि लोगों को जागरूक किया जाये और जो लोग खेतों में आड़ा लगाते हैं, उन्हें सतर्कता से आड़ा जलाने के लिए कहा जाये. इस आड़े की लपटों से कभी-कभार जंगलों तक आग फैल जाती है.

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