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Published : Jun 22, 2021, 12:28 PM IST

Updated : Jun 22, 2021, 2:28 PM IST

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रहस्यों से भरी भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली, 'परियों' का माना जाता है वास

भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली रहस्यों से भरी है. यहां चट्टानों के एक पवित्र जल कुंड है, जिसे स्थानीय भाषा में कुई कहते हैं. श्रद्धालु जलकुंड का पवित्र मानते हैं.

Lord Kartik Swami penance
Lord Kartik Swami penance

रुद्रप्रयाग: देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली क्रौंच पर्वत अनेक रहस्यों से भरा हुआ है. भगवान कार्तिक स्वामी के देव सेनापति होने के कारण तैंतीस कोटि देवी-देवता इस तीर्थ में आकर भगवान कार्तिक स्वामी की पूजा-अर्चना करते हैं. कार्तिक स्वामी तीर्थ में ऐड़ी आछरियों का वास माना जाता है, जिन्हें स्थानीय लोग अनेक प्रकार के श्रृंगार का सामान अर्पित कर खुश करते हैं.

रस्सियों के सहारे होती है यात्रा

कार्तिक स्वामी तीर्थ के उत्तर-पूरब दिशा में बीच चट्टानों के मध्य एक जल कुंड है, जिसे स्थानीय भाषा में कुई कहा जाता है. इस जल कुंड तक पहुंचने के लिए पैदल मार्ग बहुत कठिन है. साल 1942 से चली परम्परा के अनुसार हर साल जून माह में होने वाले महायज्ञ व पुराणवाचन में इस जल कुंड से भव्य जल कलश यात्रा निकाली जाती है.

रहस्यों से भरी भगवान कार्तिक स्वामी की तपस्थली

पूर्व में इस जल कुंड तक पहुंचने के लिए एक पेड़ की लता का सहारा लिया जाता था, मगर लगभग 15 वर्ष पूर्व पेड़ की लता के टूटने से अब रस्सियों के सहारे जल कुंड तक पहुंचा जा सकता है.

भगवान कार्तिक स्वामी का मंदिर

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जल कुंड के तीन तरफ फैली चट्टान की एक विशेषता है कि जहां पांव पड़ जाता है, वहीं पांव रूक जाते हैं. भारी बारिश में भी चट्टान पर फिसलन नहीं होती है. इस जल कुंड के इर्द-गिर्द गंदगी होने पर जल कुंड का पानी सूख जाता है. ब्राह्मण द्वारा हवन और जल कुंड का शुद्धिकरण के बाद ही जल कुंड में पानी पुनः भर जाता है.

क्रौंच पर्वत पर 'परियों' का माना जाता है वास.

पवित्र माना जाता है जल कुंड

इस जल कुंड की एक और विशेषता है कि पानी कितना भी निकाला जाए उतना ही रहता है. यानी कुंड का जलस्तर न घटता है ना बढ़ता है, बराबर रहता है. जून माह में होने वाले महायज्ञ के दौरान सैकड़ों श्रद्धालु जल कुंड के दर्शन करने की इच्छा जाहिर तो करते हैं, मगर भगवान कार्तिक स्वामी का परम भक्त व परम पिता परमेश्वर का सच्चा साधक ही जल कुंड के दर्शन कर पाता है.

जल कुंड तक रस्सियों के सहारे पहुंचते हैं श्रद्धालु.

इस जल कुंड का जल इतना पवित्र है कि लोग अपने घरों में जल पूजा के स्थान पर रखते हैं. कार्तिक स्वामी मन्दिर समिति अध्यक्ष शत्रुघ्न नेगी बताते हैं कि बीहड़ चट्टानों को पार करने के बाद जल कुंड तक पहुंचा जा सकता है. प्रबंधक पूर्ण सिंह नेगी बताते हैं कि वर्तमान समय में रस्सी के सहारे जल कुंड तक पहुंचा जा सकता है.

Last Updated : Jun 22, 2021, 2:28 PM IST

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