रुद्रप्रयाग:जिले के सिलगढ़, बांगर, लस्या, बड़मा पट्टियों को जोड़ने वाला मोटरमार्ग आज दयनीय हालत में है. आलम यह है कि मोटरमार्ग पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है. वाहन चालक जान हथेली पर रखकर मोटरमार्ग पर आवाजाही कर रहे हैं. दुःखद बात यह कि मोटरमार्ग कटिंग के 13 साल बाद भी डामरीकरण नहीं हुआ है. इससे मार्ग की हालत बद से बदतर होती जा रही है. इसके साथ ही ग्रामीणों को कटिंग का मुआवजा आज तक नहीं दिया गया है, जिससे ग्रामीणों में विभाग के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है.
बता दें, वर्ष 2008 में 6 किमी. जैली-मरगांव-तैला मोटरमार्ग निर्माण का कार्य शुरू हुआ था. मोटरमार्ग निर्माण होने से ग्रामीणों को उम्मीद जगी थी कि अब उनके क्षेत्र का विकास होगा और उन्हें मीलों का सफर पैदल तय नहीं करना पड़ेगा. लेकिन ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. लोक निर्माण विभाग की ओर से ना ही मोटरमार्ग की सही तरीके से कटिंग की गई और ना ही डामरीकरण किया गया. ऐसे में मोटरमार्ग जानलेवा बना हुआ है. बारिश होने पर मार्ग बंद हो जाता है. इस कारण ग्रामीणों को 10-15 किमी. पैदल चलकर तिलवाड़ा पहुंचना पड़ता है.
इसके अलावा मोटरमार्ग कटिंग का ग्रामीणों को आज तक मुआवजा तक नहीं मिल पाया है. क्षेत्र की 5,000 आबादी को जोड़ने वाला मोटरमार्ग आज दयनीय हालत में है. मोटरमार्ग की सुध लेने के लिए कोई तैयार नहीं है. क्षेत्रीय ग्रामीण मोटरमार्ग पर डामर बिछाने को लेकर विभाग से लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा चुके हैं, मगर उनकी एक नहीं सुनी जा रही है.