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हादसों को न्यौता दे रहा जैली-मरगांव-तैला मोटरमार्ग, 13 साल बाद भी नहीं हुआ डामरीकरण

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Published : Jul 10, 2021, 7:23 PM IST

जैली-मरगांव-तैला मोटरमार्ग का निर्माण साल 2008 में शुरू हुआ, लेकिन अभी तक सड़क का काम पूरा नहीं हो पाया है. इसके साथ ही ग्रामीणों को आज तक कटिंग का मुआवजा तक नहीं दिया गया है, जिससे ग्रामीणों में रोष है.

Jelly-Margaon-Tela Motorway News
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रुद्रप्रयाग:जिले के सिलगढ़, बांगर, लस्या, बड़मा पट्टियों को जोड़ने वाला मोटरमार्ग आज दयनीय हालत में है. आलम यह है कि मोटरमार्ग पर सफर करना खतरे से खाली नहीं है. वाहन चालक जान हथेली पर रखकर मोटरमार्ग पर आवाजाही कर रहे हैं. दुःखद बात यह कि मोटरमार्ग कटिंग के 13 साल बाद भी डामरीकरण नहीं हुआ है. इससे मार्ग की हालत बद से बदतर होती जा रही है. इसके साथ ही ग्रामीणों को कटिंग का मुआवजा आज तक नहीं दिया गया है, जिससे ग्रामीणों में विभाग के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है.

बता दें, वर्ष 2008 में 6 किमी. जैली-मरगांव-तैला मोटरमार्ग निर्माण का कार्य शुरू हुआ था. मोटरमार्ग निर्माण होने से ग्रामीणों को उम्मीद जगी थी कि अब उनके क्षेत्र का विकास होगा और उन्हें मीलों का सफर पैदल तय नहीं करना पड़ेगा. लेकिन ग्रामीणों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. लोक निर्माण विभाग की ओर से ना ही मोटरमार्ग की सही तरीके से कटिंग की गई और ना ही डामरीकरण किया गया. ऐसे में मोटरमार्ग जानलेवा बना हुआ है. बारिश होने पर मार्ग बंद हो जाता है. इस कारण ग्रामीणों को 10-15 किमी. पैदल चलकर तिलवाड़ा पहुंचना पड़ता है.

हादसों को न्यौता दे रहा जैली-मरगांव-तैला मोटरमार्ग.

इसके अलावा मोटरमार्ग कटिंग का ग्रामीणों को आज तक मुआवजा तक नहीं मिल पाया है. क्षेत्र की 5,000 आबादी को जोड़ने वाला मोटरमार्ग आज दयनीय हालत में है. मोटरमार्ग की सुध लेने के लिए कोई तैयार नहीं है. क्षेत्रीय ग्रामीण मोटरमार्ग पर डामर बिछाने को लेकर विभाग से लेकर क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के चक्कर लगा चुके हैं, मगर उनकी एक नहीं सुनी जा रही है.

प्रधान बीना देवी एवं ग्रामीण पूर्णानंद गोस्वामी ने बताया कि मोटरमार्ग पर घटिया तरीके से कार्य किया गया है. इसकी शिकायत कटिंग के दौरान भी की गई, मगर किसी ने भी ग्रामीणों की नहीं सुनी. आज स्थिति यह है कि विभागीय लापरवाही का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है. मोटरमार्ग हादसों को न्यौता दे रहा मार्ग है. डामरीकरण की फाइल शासन स्तर पर धूल फांक रही है.

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उन्होंने कहा कि बारिश के समय मार्ग पर भूस्खलन होने लगता है, जिस कारण मार्ग बंद हो जाता है. ऐसे में ग्रामीणों को 10-15 किमी पैदल चलकर रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना पड़ता है. ग्रामीणों को आज तक कटिंग का मुआवजा भी नहीं मिला है, जिस कारण ग्रामीणों में विभाग के खिलाफ आक्रोश बना हुआ है. क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सिर्फ ग्रामीणों को बेवकूफ बनाने में लगे हुए हैं.

वहीं, लोनिवि के अधिशासी अभियंता इन्द्रजीत बोस ने कहा कि मोटरमार्ग पर 3 किमी. डामर बिछाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, जिस पर जुलाई अंतिम सप्ताह तक कार्रवाई हो जायेगी. इसके अलावा कटिंग के मुआवजे को लेकर शासन से धनराशि की मांग की गई है.

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