रुद्रप्रयागःकेदारघाटी के अधिकांश भू-भाग में इन दिनों अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लगे हैं. साथ ही खेत-खलिहानों से लेकर वन संपदा से सुसज्जित जंगलों में रंग-बिरंगे फूल खिलने से धरती में स्वर्ग का एहसास हो रहा है. वास्तव में देवभूमि उत्तराखंड में वसंत पंचमी को ऋतु परिवर्तन का द्योतक माना जाता है. वसंत पंचमी के बाद प्रकृति नव श्रृंगार धारण करती है तथा पेड़-पौधों में नव ऊर्जा का संचार होने लगता है.
वसंत आगमन के बाद केदारघाटी का अधिकांश भू-भाग फ्यूंली, बुरांस सहित अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने के कारण यहां के प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लगे हुए हैं. वसंत पंचमी आगमन से पेड़-पौधों के साथ प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता है तथा पेड़ पौधों की कलियां अंकुरित होने लगती हैं. साथ ही कई प्रकार के प्रवासी पक्षी केदारघाटी की ओर रुख कर देते हैं. इन दिनों बह्मबेला पर कफुवा व हिलांस के मधुर स्वर मानव के मन को अपार शांति की अनुभूति करवा रहे हैं. युगीन लेखकों, साहित्यकारों व संगीतकारों ने वसंत आगमन की महिमा का गुणगान बडे़ अद्भुत तरीके से किया है.
गढ़ गौरव नरेंद्र सिंह नेगी ने वसंत आगमन की महिमा को बड़े खुदेड़ तरीके से संकलित किया है. जबकि देवभूमि उत्तराखंड के अन्य लोक गायकों ने भी वसंत आगमन की महिमा का गुणगान यादगार व स्मरणीय तरीके से किया है. पर्यावरण प्रेमी आचार्य हर्ष जमलोकी बताते हैं कि वसंत पंचमी ऋतु परिवर्तन का द्योतक माना गया है तथा वसंत पंचमी से प्रकृति नव श्रृंगार धारण करती है और प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता है.