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वसंत के फूलों से सजी केदारघाटी, प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू

वसंत ऋतु के आते ही केदारघाटी में फ्यूंली, बुरांस सहित अनेक प्रजाति के फूलों से प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लग गए हैं. पेड़-पौधों के साथ ही प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगा है. प्रवासी पक्षियों का आगमन भी शुरू हो गया है.

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Published : Feb 21, 2022, 5:38 PM IST

रुद्रप्रयागःकेदारघाटी के अधिकांश भू-भाग में इन दिनों अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लगे हैं. साथ ही खेत-खलिहानों से लेकर वन संपदा से सुसज्जित जंगलों में रंग-बिरंगे फूल खिलने से धरती में स्वर्ग का एहसास हो रहा है. वास्तव में देवभूमि उत्तराखंड में वसंत पंचमी को ऋतु परिवर्तन का द्योतक माना जाता है. वसंत पंचमी के बाद प्रकृति नव श्रृंगार धारण करती है तथा पेड़-पौधों में नव ऊर्जा का संचार होने लगता है.

वसंत आगमन के बाद केदारघाटी का अधिकांश भू-भाग फ्यूंली, बुरांस सहित अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने के कारण यहां के प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लगे हुए हैं. वसंत पंचमी आगमन से पेड़-पौधों के साथ प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता है तथा पेड़ पौधों की कलियां अंकुरित होने लगती हैं. साथ ही कई प्रकार के प्रवासी पक्षी केदारघाटी की ओर रुख कर देते हैं. इन दिनों बह्मबेला पर कफुवा व हिलांस के मधुर स्वर मानव के मन को अपार शांति की अनुभूति करवा रहे हैं. युगीन लेखकों, साहित्यकारों व संगीतकारों ने वसंत आगमन की महिमा का गुणगान बडे़ अद्भुत तरीके से किया है.

गढ़ गौरव नरेंद्र सिंह नेगी ने वसंत आगमन की महिमा को बड़े खुदेड़ तरीके से संकलित किया है. जबकि देवभूमि उत्तराखंड के अन्य लोक गायकों ने भी वसंत आगमन की महिमा का गुणगान यादगार व स्मरणीय तरीके से किया है. पर्यावरण प्रेमी आचार्य हर्ष जमलोकी बताते हैं कि वसंत पंचमी ऋतु परिवर्तन का द्योतक माना गया है तथा वसंत पंचमी से प्रकृति नव श्रृंगार धारण करती है और प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता है.

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ईको पर्यटन विकास समिति अध्यक्ष चोपता भूपेंद्र मैठाणी का कहना है कि वसंत पंचमी के बाद तुंगनाथ घाटी में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है तथा तुंगनाथ घाटी में प्रवासी पक्षियों के आगमन के बाद तुंगनाथ घाटी में पक्षी प्रेमियों की आवाजाही भी शुरू हो जाती है. इससे स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में भी इजाफा होता है. मद्महेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भट्ट ने बताया कि इन दिनों मद्महेश्वर घाटी के विभिन्न इलाकों में फ्यूंली, बुंरास सहित अनेक प्रजाति के पुष्पों के खिलने से यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने से भटके मन को अपार शांति की अनुभूति हो रही है.

जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट का कहना है कि वसंत ऋतु के आगमन पर महिलाओं को मायके की याद बहुत सताती है तथा वसंत ऋतु महिलाओं की खुदेड़ ऋतु मानी जाती है. प्रधान कविल्ठा अरविन्द राणा का कहना है कि वसंत आगमन पर वसंत पंचमी व चैत्र महीने का विशेष महत्व माना जाता है. क्योंकि वसंत पंचमी के दिन लोग घरों में जौ की बालियां लगाकर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते हैं, जबकि चैत्र मास शुरू होते ही नौनिहाल सुबह-सुबह घरों की चौखट में अनेक प्रजाति के पुष्प बिखेर कर वसंत आगमन का संदेश देते हैं.

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