बेरीनागः ऐतिहासिक बौराणी मेले का समापन हो गया है. इस दौरान पुलई-चापड़ गांव में रात के समय स्थानीय लोग चीड़ की छाल से निर्मित 27 फीट लंबी मशाल को कंधों पर रखकर सैम मंदिर पहुंचे. जहां पर मंदिर की सात परिक्रमा के बाद मशाल को परिसर में गाड़ दिया. वहीं, ग्रामीणों ने सैम देवता की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की.
बता दें कि, सैम मंदिर में कार्तिक पूर्णिमा को मशाल लाने की परंपरा सदियों पुरानी है. लोग इसे सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक मानते हैं. सैम मंदिर पहुंचे भक्तों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर भगवान का आशीर्वाद लिया. जबकि, इस मशाल को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुटे रहे.