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उत्तराखंडः इन दो गांवों में 'जलप्रलय' से सबकुछ तबाह, सांसद प्रदीप टम्टा ने उठाई विस्थापन की मांग

राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने मांग की है कि आपदाग्रस्त धापा और टांगा गांववासियों के लिए सरकार को विस्थापन नीति बनानी चाहिए.

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Published : Aug 12, 2020, 5:44 PM IST

Updated : Aug 12, 2020, 6:44 PM IST

पिथौरागढ़:जिले के आपदाग्रस्त धापा और टांगा गांव के विस्थापन की मांग तेज हो गयी है. राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने दोनों गांवों को तराई में विस्थापित करने की मांग की है. प्रदीप टम्टा का कहना है कि बादल फटने की वजह से आपदाग्रस्त धापा और टांगा गांव पूरी तरह खतरे की जद में आ गए हैं. धापा गांव में 51 परिवार और टांगा गांव के सभी 66 परिवारों को शीघ्र विस्थापन की जरूरत है.

सांसद प्रदीप टम्टा ने उठाई विस्थापन की मांग

राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा ने राज्य सरकार से आपदाग्रस्त धापा और टांगा गांव के शीघ्र विस्थापन की मांग की है. टम्टा ने कहा कि सभी आपदा प्रभावितों को तराई में एक एकड़ जमीन और मकान दिया जाए. जिससे आपदा प्रभावितों की जिंदगी फिर से पटरी पर आ सके. टम्टा ने बताया कि धापा और टांगा गांव में 100 से अधिक परिवार आपदा के डर से टैंटों और सरकारी भवनों में रहने को मजबूर हैं. ऐसे में सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द दोनों गांवों के विस्थापन की रणनीति तैयार की जाए.

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राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए टम्टा ने कहा कि जब सरकार पूंजीपतियों को तराई में जमीन दे सकती है तो आपदा प्रभावितों को तराई में क्यों नही बसाया जा सकता. बता दें कि 19 जुलाई की रात बादल फटने से बंगापानी तहसील के टांगा गांव और मुनस्यारी तहसील के धापा गांव में भारी तबाही मची थी. टांगा में आयी आपदा में 11 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. आपदा के कारण ये दोनों ही गांव मरघट में तब्दील हो चुके हैं. आलम ये है कि लोग अपना घरबार छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लिए हुए हैं.

Last Updated : Aug 12, 2020, 6:44 PM IST

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