बेरीनाग: पहाड़ों में स्वास्थ्य व्यवस्था किस तरह से चल रही है और लोगों के स्वास्थ्य प्रति सरकार कितनी गंभीर है, इसका एक बानगी बेरीनाग में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिल रही है. 6 साल पहले पूर्व सीएम हरीश रावत ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की घोषणा की थी, लेकिन आज तक यह घोषणा महज कागजी घोषणा बनकर रह गई है. ये हाल तब है, जब स्वास्थ्य महकमा प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास है.
6 साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बेरीनाग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाने की घोषणा की थी. घोषणा के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा 23 जून 2015 को इसकी अधीसूचना भी जारी कर दी गई थी. इसके साथ ही यहां पर डाक्टरों सहित 10 पदों को स्वीकृत कर दिया गया था. जिसका आदेश स्वास्थ्य केंद्र को भी कर दिया गया था. स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के बाहर जगह जगह बोर्ड लगा दिया, लेकिन विडंबना यह रही की 6 सालों में सिर्फ बोर्ड के अलाव कुछ भी सीएचसी को नहीं मिला. स्वास्थ्य महकमे ने अपने कागजों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सीएचसी तो बना दिया, लेकिन यहां पर सीएचसी के नाम पर न तो सुविधा दी गई न यहां पर डॉक्टर की नियुक्ति हुई.
कई बार स्थानीय लोगों सीएचसी की सुविधा देने की मांग कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया. जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है. वर्तमान में अस्पताल में बेरीनाग विकास खंड के अलावा गंगोलीहाट, गणाई, कांडा, बागेश्वर, कपकोट, थल क्षेत्र के दर्जनों गांवों के लोग यहां पर स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आते हैं. वहीं, यहां पर सुविधा न होने के कारण मरीजों को जिला मुख्यालय और मैदानी क्षेत्रों के अस्पताल में जाना पड़ता है. कई बार गंभीर रूप से बीमार मरीज बाहर ले जाने के दौरान रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं. यहां पर प्रतिदिन 300 से अधिक ओपीडी और 100 से ज्यादा इमरजेंसी मरीज आते हैं. साथ ही प्रसूता भी स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आती हैं, लेकिन उनको भी सुविधा नहीं मिल पाती है.