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उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मई में हो रही बर्फबारी, जड़ी-बूटियों पर मंडराया संकट, वैज्ञानिकों ने जताई चिंता - Threat to Himalayan herbs

उच्च हिमालयी क्षेत्रों मे मई के महीने में हो रही बर्फबारी को वैज्ञानिक औषधीय पौधों के लिए खतरे का संकेत मान रहे हैं. हिमालय में हो रहे मौसम परिवर्तन से यहां उगने वाली बेशकीमती जड़ी बूटी का अस्तित्व खतरे में है.

Snowfall in higher Himalayan regions
विलुप्ति की कगार पर हिमालय की जड़ी-बूटियां

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Published : May 29, 2023, 9:00 PM IST

Updated : May 29, 2023, 11:01 PM IST

विलुप्ति की कगार पर हिमालय की जड़ी-बूटियां

श्रीनगर: हिमालय अपनी सुंदरता के साथ यहां पाये जाने वाले जड़ी बूटियों के लिए भी जाना जाता है. हिमालय में कई ऐसी जड़ी बूटियां पाई जाती हैं जो असाध्य रोगों के लिए कारगर साबित होती हैं, लेकिन अब इन जड़ी बूटियों का अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. हिमालय में हो रहे मौसम परिवर्तन के कारण यहां उगने वाली बेशकीमती जड़ी बूटियां धीरे धीर खत्म हो रही हैं.

हिमालय औषधीय गुणों से भरपूर जड़ी बूटियों का भंडार है. मगर कुछ समय से यहां हो रहे जलवायु परिवर्तन का असर इन जड़ी बूटियों पर पड़ा है. इस साल बेमौसमी बरसात व बर्फबारी का असर इन कीमती जड़ी बूटियों पर देखने को मिल रहा है. उच्च हिमालयी क्षेत्रों मे मई के महीने में हो रही बर्फबारी को वैज्ञानिक औषधीय पौधों के लिए खतरे का संकेत मान रहे हैं. हिमालय में हो रहे मौसम परिवर्तन से यहां उगने वाली बेशकीमती जड़ी बूटी चोरू, जटामासी, कुटकी, अतीश, चिराइता, कूट, भूतकेशी समेत कई ऐसी जड़ी बूटियां हैं जिनका अस्तित्व खतरे में है. इन सभी जड़ी बूटियों का इस्तेमाल व्यवसायिक रूप में किया जाता है.

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गढ़वाल विवि के उच्च हिमालयी पर्वतीय शोध संस्थान के डायरेक्टर प्रो एमसी नौटियाल बताते हैं कि मौसम परिवर्तन हिमालयी राज्यों में तेजी के साथ हो रहा है. परिणाम स्वरूप सर्दियों में भी आम के पेड़ पर फल आ रहे हैं, जो बता रहा है कि मौसम में गर्मी की अधिकता बढ़ गयी है. हिमालयी रीजन में मैदानी इलाकों में पाई जाने वाली वनस्पति भी अब होने लगी है. हिमालय में पाई जानी वाली जड़ी बूटियां अब कम मात्रा में हो रही हैं. इसका कारण गर्मी का बढ़ना है.
वहीं, दूसरी तरफ बेमौसम बर्फबारी, बारिश भी वैज्ञानिकों को हैरानी में डाल रही है.

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विवि के हेप्रेक के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर विजयकांत पुरोहित बताते है कि इस बार अप्रैल और मई में बर्फबारी, बारिश व ओलावृष्टी हुई है. जिससे तापमान काफी कम हो गया है. इसी कारण औषधीय पौधों की ग्रोथ धीमी गति से हो रही है. अगर इन जड़ी बूटियों की ग्रोथ धीमी रहेगी तो बीज बनने की प्रक्रिया भी कम हो जायेगी. जिससे इन औषधीय जड़ी बूटियों पर संकट गहरा सकता है. इसका सीधा नुकसान इन जड़ी बूटियों की काश्तकारी करने वाले किसानों को होगा. साथ ही हिमालय की बहुमूल्य संपदा भी विलुप्ति की कगार पर पहुंच जायेगी.

Last Updated : May 29, 2023, 11:01 PM IST

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