कोटद्वारःउत्तराखंड में पलायन सबसे बड़ी समस्या है. आलम ये है कि युवा नौकरी और रोजगार की तलाश में महानगरों की ओर लगातार रुख कर रहे हैं. जिससे पहाड़ दिनोंदिन खाली होते जा रहे हैं, लेकिन कुछ युवा ऐसे भी हैं, जो अपनी माटी से जुड़ कर सोना उगा रहे हैं. जी हां, पौड़ी जिले के पाबौ ब्लॉक के चौड़ तल्ला निवासी विरेंद्र सिंह नेगी उन्ही लोगों में से एक हैं. जो नई तकनीक से खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं. इतना ही नहीं विरेंद्र क्षेत्र के लोगों के लिए नजीर बन गए हैं.
प्रगतिशील कृषक विरेंद्र ने बताया कि 90 के दशक में प्राइवेट नौकरी में मन नहीं लगा तो घर आकर परंपरागत खेती में जुट गए. कम मेहनत और लागत से सब्जी उत्पादन कर रहे नेपाली मूल के लोगों से जानकारी ली. साथ ही परंपरागत तरीके से सब्जी की पैदावार करने लगे. साल 2004 में पौड़ी में कृषि विश्वविद्यालय भरसार अस्तित्व में आई. जिसके बाद उनकी कृषि वैज्ञानिक से तकनीकी खेती में जिज्ञासा बढ़ने लगी. जहां से उन्होंने कुछ बारीकियां सीखी. अब विरेंद्र सब्जी के साथ फूलों की खेती समेत मछली पालन पर भी काम कर रहे हैं.
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कृषक विरेंद्र ने बताया कि वो गेंदा और खीरा की खेती तकनीकी विधि से करते हैं. जिससे वो साल भर उत्पादन ले रहे हैं. इस समय 72 सौ क्विंटल खीरे का उत्पादन कर बाजार में बेच चुके हैं. जबकि, साल 2002 से मछली पालन भी कर रहे हैं. सर्दी के मौसम में अब तक 2.50 क्विंटल मछलियां बेच चुके हैं. अभी भी प्रतिदिन 7 से 8 सौ किलो की डिमांड है, जिसकी डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं.
वहीं, बीते साल 25 नाली जमीन में धान की खेती भी की. अब तकनीकी खेती में और इजाफा कर 500/600 वर्ग मीटर वाला पॉली हाउस लगाने जा रहे हैं. पॉली हाउस में इसमें भी तकनीकी इजाद की है कि जो पहाड़ी क्षेत्र के सीढ़ीनुमा खेत के लिए कारगर होगा. लिहाजा, तकनीकी खेती से उत्पादन के साथ अपनी आमदनी भी बढ़ा रहे हैं.