पौड़ी: अंकिता भंडारी हत्याकांड और छावला गैंगरेप पीड़िता को न्याय दिलाने के उनके परिजन ने 19 फरवरी से न्याय यात्रा पर हैं. आज यह यात्रा श्रीनगर के गोला पार्क पहुंची. इस मौके पर अंकिता भंडारी की मां सोनी देवी ने सरकार और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए. सोनी देवी ने आरोप लगाया कि अंकिता की हत्या के बाद उन्हें और उनके परिवार को गुमराह करने की कोशिश की गई.
अंकिता भंडारी की मां ने कहा कि उनकी बेटी की हत्या के बाद जब शव अंतिम संस्कार के लिए श्रीनगर लाया गया तो, वो दिल पर पत्थर रखकर अपनी बेटी के अंतिम दर्शन के लिए वहां पहुंची. यहां प्रशासन ने उनके परिवार को अलग थलग रख उन्हें गुमराह करते रहे. उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया कि उनके पति आईसीयू में भर्ती है. उनके अनुरोध के बाद भी उन्हें अंकिता के अंतिम दर्शन करवाए बिना दबाव डालकर अंतिम संस्कार करवाया गया. वो अपनी बेटी को न्याय दिलाने और बेटियों की सुरक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ती रहेगी.
जनसंपर्क और सभा के बाद न्याय यात्रा में शामिल लोगों ने पत्रकार वार्ता की. इस मौके पर मातृभूमि सेवा पार्टी के महासचिव कमल ध्यानी ने कहा जब सरकार और न्यायालय से उत्तराखंड की बेटियों को न्याय नहीं मिला तो उन्होंने दिल्ली से अल्मोड़ा चित्तई के गोलज्यू देवता तक न्याय के लिए यात्रा शुरू की है. अब गोलज्यू देवता में अर्जी लगाकर न्याय की गुहार लगाई जाएगी.
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वहीं, कमल ध्यानी ने छावला गैंगरेप और हत्याकांड मामले में सर्वोच्च न्यायालय की न्याय प्रक्रिया पर उन्होंने सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा मामले में जिला और उच्च न्यायालय ने आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया. जबकि बरी होने के बाद उनमें से एक आरोपी ने एक ऑटो चालक की हत्या कर दी. जानबूझ कर यह मामला उस न्यायाधीश को सौंपा गया, जो दूसरे दिन सेवानिवृत्त होने वाला था. वहीं, अंकित भंडारी मामले में कहा सरकार जानबूझकर मामले को उलझा कर आरोपियों को बचाने में लगी है. 28 फरवरी को श्रीनगर में सड़क पर लेट कर मुख्यमंत्री की बाइक रैली का घोर विरोध किया जाएगा.
पूर्व आयुक्त एसएस पांगती ने छावला पीड़ित और अंकिता भंडारी मामले में सरकार की उदासीनता को भविष्य में बेटियों के लिए भारी खतरा बताया है. आशुतोष नेगी ने कहा अंकिता भंडारी मामले को जानबूझ कर दबाया जा रहा है. पेपर लीक और युवाओं पर लाठी चार्ज कर उनके साथ अन्याय किया जा रहा है. उन्होंने न्याय यात्रा के दौरान एबीवीपी छात्र संगठन की ओर से यात्रा की अनदेखी किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की है. युवाओं को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाज हित के बारे में सोचना चाहिए.