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कोर्ट के आदेश के बाद अधर में लटका कण्वाश्रम का कार्य, महाराज बोले- रखा जाएगा ठोस तथ्य

कण्वाश्रम में पर्यटन विभाग द्वारा मालन नदी में बनाए जा रहे 24 करोड़ की लागत से पार्क और झील का निर्माण कार्य किया जा रहा था. जिस पर कोटद्वार निवासी किशन सिंह नेगी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट ने 26 मार्च को रोक लगा दी थी.

अधर में लटका पड़ा कण्वाश्रम का कार्य

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Published : Jul 7, 2019, 11:39 AM IST

कोटद्वार: कण्वाश्रम को विश्व पटल पर विकसित करने के लिए पर्यटन विभाग द्वारा किए जा रहे कार्यों पर मार्च माह में हाई कोर्ट ने रोक लगा दी थी. तीन महीने के बाद भी विभाग हाई कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रख पाया है. जिस कारण कण्वाश्रम का कार्य अधर में लटका हुआ है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जल्द ही न्यायालय से क्लीयरेंस लेने की बात कही है.

अधर में लटका पड़ा कण्वाश्रम का कार्य

बता दें कि कण्वाश्रम में पर्यटन विभाग द्वारा मालन नदी में बनाए जा रहे 24 करोड़ की लागत से पार्क और झील का निर्माण कार्य किया जा रहा था. जिस पर कोटद्वार निवासी किशन सिंह नेगी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट ने 26 मार्च को रोक लगा दी थी.

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याचिका में कहा गया था कि बारिश के समय नदी में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. सुनवाई के बाद न्यायालय ने निर्माण कार्य पर रोक लगाते हुए सरकार से 3 सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा था. लेकिन 3 सप्ताह बीत जाने के बाद भी सरकार अबतक न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष नहीं रख पाई है.

उत्तराखंड सरकार के सिंचाई एवं पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि न्यायालय के समक्ष ठोस सबूतों के साथ अपना पक्ष रखा जाएगा. जिसके बाद जल्द ही न्यायालय से कण्वाश्रम के विकास कार्यों के लिए क्लीयरेंस ली जाएगी. उन्होंने कहा कि अगर कुछ अड़चनें आती हैं तो विभाग की जल नीति तैयार हो चुकी है, जिसके आधार पर कण्वाश्रम में तालाब बनाकर उसे झील का स्वरूप दिया जाएगा.

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