कोटद्वारः केंद्र सरकार डिजिटल इंडिया की ढोल पीटकर दुनियाभर में वाहवाही लूट रही है. सरकार कह रही है कि 21 सदी डिजिटल युग है, जिसमें गांवों से शहरों को जोड़कर एक नए भारत की कहानी लिखी जा रही है. लेकिन, सूबे में डिजिटल इंडिया दूर की कौड़ी है. हम यहां दूरस्थ गांवों की बात नहीं कर रहे, मैदानी इलाकों में भी डिजिटल इंडिया के दावों की पोल खुल रही है. हालत ये है कि ब्लॉक मुख्यालय तक में अधिकारियों और कर्मचारियों को फोन पर बात करने के लिए कार्यालय से दूर जाना पड़ता है.
जिन ब्लॉकों से न्याय पंचायत और ग्राम पंचायतों का विकास का ढांचा तैयार किया जाता है, अगर वही नेटवर्क जैसी सुविधाओं से वंचित हो तो डिजिटल युग के दावे पर इससे बड़ा तमाचा और क्या होगा? पौड़ी जिले के द्वारीखाल व दुगड्डा ब्लॉक में सेल्यूलर नेटवर्क न होने के कारण अधिकारियों- कर्मचारियों का जनप्रतिनिधियों से संपर्क नहीं हो पाता. उच्चाधिकारियों से फोन पर बात करने के लिए उन्हें मुख्यालय से सड़क पर निकलना पड़ता है. अब सोचने वाली बात ये है कि ऐसे में ब्लॉक मुख्यालय से ग्राम और न्याय पंचायतों के विकास का ढ़ांचा कैसे तैयार हो पाएगा?
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