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Published : Jan 20, 2020, 6:06 PM IST

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75 साल के हुए इंडिया के 'जेम्स बॉन्ड', उत्तराखंड के पौड़ी से है खास रिश्ता

अजीत डोभाल भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के पूर्व निदेशक भी रह चुके हैं. डोभाल को सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया जा चुका है. अजीत न सिर्फ एक बेहतरीन खुफिया जासूस रहें, बल्कि एक रणनीतिकार भी हैं.

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अजीत डोभाल

पौड़ी: यूं तो उत्तराखंड का पौड़ी जिला किसी पहचान का मोहताज नहीं है, लेकिन पौड़ी के घीड़ी गांव के रहने वाले अजीत डोभाल के वीरता भरे कार्य के चलते आज पौड़ी का नाम पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध है. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल सोमवार (20 जनवरी) को 75 साल के हो गए है. तो चलिए जानते हैं उनके बारे में खास बातें...

अजीत डोभाल का जन्म पौड़ी जनपद के घीड़ी गांव में 20 जनवरी 1945 को हुआ था. अजीत की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव में हुई और आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें पौड़ी से बाहर जाना पड़, लेकिन आज देश की मुख्य जिम्मेदारी संभालने के बाद भी वह समय-समय पर अपने गांव में पूजा-अर्चना के लिए आते रहते हैं. सोमवार को उनके पैतृक गांव घीड़ी में भी लोगों ने उनका जन्मदिन मनाया.

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एनएसए अजीत डोभाल यूं ही भारत के जेम्स बॉन्ड नहीं कहलाते हैं, उनकी बहादुरी और वीरता के आगे दुश्मन भी थर-थर कांपते हैं. यही कारण है कि उन्हें दूसरी बार देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया गया. इतना ही नहीं उन्हें मोदी कैबिनेट में भी शामिल किया गया.

एनएसए अजीत डोभाल कुछ समय पूर्व अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे थे, जहां उन्होंने अपने पैतृक मंदिर में पूजा अर्चना कर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आर्थिक मदद भी की थी. उनकी शालीनता और सामान्यता का उदाहरण है कि वह समय-समय पर अपने गांव के प्रसिद्ध मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं.

डोभाल भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी और इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के पूर्व निदेशक भी रह चुके हैं. अजीत डोभाल को सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया जा चुका है. अजीत न सिर्फ एक बेहतरीन खुफिया जासूस रहे, बल्कि एक बढ़िया रणनीतिकार भी हैं.

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डोभाल पाकिस्तान में सात साल तक खुफिया जासूस की भूमिका में रह चुके हैं. पाकिस्तान में अंडर कवर एजेंट की भूमिका के बाद इस्लामाबाद स्थित इंडियन हाई कमिशन के लिए काम किया. कांधार में आईसी-814 के अपहरण प्रकरण में अपहृत लोगों को सुरक्षित वापस लाने में डोभाल की अहम भूमिका रही थी.

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