नैनीताल:उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जोशीमठ में हो रहे लगातार भू-धंसाव को लेकर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी की जनहित याचिका में दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि इस मामले की जांच के लिए सरकार इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट सदस्यों की कमेटी गठित करेगी, जिसमें पीयूष रौतेला और एमपीएस बिष्ठ भी होंगे.
सीलबंद लिफाफे में दे सरकार अपनी रिपोर्ट: साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह कमेटी दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करेगी. वहीं, जोशीमठ में निर्माण पर लगी रोक के आदेश को प्रभावी रूप से लागू करने को कहा है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार व एनटीपीसी की तरफ से कहा गया कि सरकार इस मामले को लेकर गंभीर है. यहां पर सभी निर्माण कार्य रोक दिए हैं और प्रभावितों को हर संभव मदद दी जा रही है. भू धंसाव को लेकर सरकार वाडिया इंस्टिट्यूट के एक्सपर्ट लोगों की मदद ले रही है.
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तबाह हो सकता है जोशीमठ: प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि जोशीमठ में लगातार भू-धंसाव हो रहा है. घरों व भवनों में दरारें आ रही हैं, जिससे यहां के लोग दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं. प्रदेश सरकार की ओर से जनता की समस्या को नजरंदाज किया जा रहा है और उनके पुनर्वास के लिये रणनीति तैयार नहीं की गयी है. किसी भी समय जोशीमठ का यह इलाका तबाह हो सकता है.
मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट का भी किया गया जिक्र: प्रार्थना पत्र के जरिए कोर्ट को बताया गया कि प्रशासन ने करीब ऐसे 600 भवनों को चिन्हित किया है, जिनमें दरारें आयी हैं, ये दरारें दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं. प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया है कि 1976 में मिश्रा कमेटी ने जोशीमठ को लेकर विस्तृत रिपोर्ट सरकार को दी थी, जिसमें कहा गया था कि जोशीमठ शहर मिट्टी व रेत कंकरों से बना है. यहां कोई मजबूत चट्टान नहीं है, कभी भी भू-धंसाव हो सकता है. निर्माण कार्य करने से पहले इसकी जांच की जानी आवश्यक.
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