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HC में रानीबाग-नैनीताल तक प्रस्तावित रोपवे मामले में सुनवाई, कोर्ट ने NHAI से मांगा जवाब - National Highways Authority of India

रानीबाग से नैनीताल के लिए प्रस्तावित रोपवे के मामले पर बुधवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने इस मामले पर National Highways Authority of India (एनएचएआई) को शपथ पत्र के साथ तलब किया है. इस प्रोजेक्ट को लेकर प्रोफेसर अजय रावत ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी.

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Published : May 18, 2022, 3:49 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड और राज्य सरकार द्वारा रानीबाग से नैनीताल के लिए प्रस्तावित रोपवे के मामले में प्रोफेसर अजय रावत की जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने National Highways Authority of India (एनएचएआई) को निर्देश दिए है कि वे अपना पक्ष शपथ पत्र के माध्यम से 15 जून तक कोर्ट में पेश करें. मामले की अगली सुनवाई 15 जून की तिथि नियत की है.

पूर्व में कोर्ट ने एनएचएआई को पक्षकार बनाकर उनसे रोपवे के मामले में स्थिति स्पष्ट करने को कहा था, जिस पर आज एनएचएआई ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने रोपवे से संबंधित बड़े प्रोजेक्ट बनाने का जिम्मा उनको सौंपा है, यह प्रोजेक्ट भी उनको दिया है. इसके लिए एनएचएआई ने मार्च 2022 में जर्मन ऑस्ट्रेलियन कंपनी को ठेका भी दे दिया है. अब एनएचएआई इस पूरे प्रोजेक्ट का फिर से निरीक्षण करेगी. कोर्ट ने इन तथ्यों को शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने को कहा है.
पढ़ें-HC में हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले में सुनवाई, कोर्ट ने पीड़ितों को पक्ष रखने का दिया समय

मामले के अनुसार नैनीताल निवासी पर्यावरणविद प्रो अजय रावत ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड और राज्य सरकार द्वारा रानीबाग से नैनीताल के लिए रोपवे का निर्माण प्रस्तावित है. रोपवे के लिए निहाल नाले और बलिया नाले के मध्य मनोरा पीक पर निर्माण कार्य होना है.

चिंता की बात यह है कि ये दोनों नाले भू-गर्भीय रिपोर्ट के आधार पर अतिसंवेदनशील क्षेत्र है. लिहाजा यहा किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं किया जा सकता. पूर्व में भी हाईकोर्ट ने हनुमान गढ़ी क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य पर रोक लगाई थी. याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि वे रोपवे के विरोध में नहीं है, बल्कि रोपवे के निर्माण से पहले इसकी विस्तृत भूगर्भीय जांच कराई जाए.

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