हल्द्वानी:उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र अपनी कई उपलब्धियों के लिए पहचान बना चुका है. ऐसे में अनुसंधान केंद्र ने एक बार फिर से जैव विविधता के क्षेत्र में चमोली जिले में 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित भारत के सबसे अधिक ऊंचाई वाले हर्बल गार्डन का रविवार को उद्घाटन किया. माणा, चीन की सीमा से लगे चमोली जिले का अंतिम गांव है और प्रसिद्ध बदरीनाथ मंदिर के निकट है.
मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने कहा, 'इस उच्च ऊंचाई वाले हर्बल पार्क का मुख्य उद्देश्य विभिन्न औषधीय और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण अल्पाइन प्रजातियों का संरक्षण करना और उनके प्रसार और आवास पारिस्थितिकी पर शोध करना है.' बता दें, इस गार्डन को उत्तराखंड वन विभाग के अनुसंधान विंग द्वारा माणा वन पंचायत द्वारा दी गई भूमि पर 03 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया गया है. केंद्र सरकार की प्रतिपूरक वनरोपण प्रबन्धन निधि तथा योजना प्राधिकरण (CAMPA) योजना के तहत पार्क को तीन साल में विकसित किया गया है.
यह हर्बल पार्क लगभग 40 दुर्लभ प्रजातियों को प्रदर्शित करता है, जो भारतीय हिमालयी क्षेत्र में उच्च ऊंचाई वाले अल्पाइन क्षेत्रों में पाए जाते हैं. इनमें से कई प्रजातियां लुप्तप्राय हैं और आईयूसीएल लाल सूची के साथ-साथ राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा खतरे में बताई गई हैं. इसमें कई महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटियां भी शामिल हैं.
पार्क को 04 सेक्शन में बांटा गया: पहले खंड में भगवान बदरीनाथ से जुड़ी प्रजातियां शामिल हैं. इनमें बदरी तुलसी, बदरी बेर, बदरी वृक्ष और भोजपत्र का पवित्र वृक्ष शामिल हैं. बदरी तुलसी जिसे वैज्ञानिक रूप से ओरिगनम वल्गारे नाम दिया गया है, इस क्षेत्र में पायी जाती है और भगवान बदरीनाथ को चढ़ाने का महत्वपूर्ण हिस्सा है. विभिन्न शोधों ने इसके कई औषधीय लाभों को स्थापित किया है. बदरी बेर, जिसे वैज्ञानिक रूप से हिप्पोफा सैलिसिफोलिया के रूप में जाना जाता है और स्थानीय रूप से अमेश के रूप में जाना जाता है. यह बहुत ही पोषण युक्त फल है और व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.