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बरहैनी रेंज में तस्करों के हौसले बुलंद, आए दिन देते हैं वारदातों को अंजाम, संसाधनों की कमी से जूझ रहे वनकर्मी - Vanorki

बरहैनी रेंज में हो रही तस्करी पर रोक लगाने के लिए बरहैनी रेंज के क्षेत्राधिकारी रूप नारायण गौतम हर संभव प्रयास कर रहे हैं. बरहैनी रेंज में खैर, शीशम, और सागौन के जंगल हैं. जिन्हें तस्कर निशाना बनाते रहते हैं. तस्करों के हौसले इतने बुलंद है कि बीते 21 जून की रात में तस्करों ने एक वनकर्मी की भी हत्या कर दी थी.

बरहैनी रेंज क्षेत्राधिकारी रूप नारायण गौतम.

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Published : Aug 2, 2019, 9:49 AM IST

Updated : Aug 2, 2019, 10:26 AM IST

नैनीताल:तराई केंद्रीय वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले बरहैनी रेंज से बड़े पैमाने में तस्करी होती है. जिसकी रोकथाम के लिए बरहैनी रेंज के क्षेत्राधिकारी रूप नारायण गौतम हर संभव प्रयास कर रहे हैं. उनके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें सरकार द्वारा कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. बरहैनी रेंज में खैर, शीशम, और सागौन के जंगल हैं. जिन्हें तस्कर निशाना बनाते रहते हैं. तस्करों के हौसले इतने बुलंद है कि बीते 21 जून की रात में तस्करों ने एक वनकर्मी की भी हत्या कर दी थी.

बरहैनी रेंज में तस्करों के हौसले बुलंद.

बता दें कि तराई केंद्रीय वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाला बरहैनी रेंज उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है. जिसके चलते इस रेंज में भारी संख्या में तस्कर सक्रिय रहते हैं. बीते माह 21 जून को तस्करों ने एक वनकर्मी की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

वहीं, तस्करी पर लगाम लगान के लिए वन क्षेत्राधिकारी रूप नारायण गौतम ने अपने 6 माह के कार्यकाल के दौरान तस्करी में इस्लेमाल किए जाने वाले 17 दोपहिया वाहन, 1 कार, 1 टाटा सूमो, 1 छोटा हाथी, 1 ट्रेक्टर ट्रॉली और एक 1 ट्रक तस्करी के दौरान जब्त किए हैं. जिसके चलते उन्होंने करीब 8 से 10 लाख की कीमत की वन संपदा को तस्करी होने से बचाया है. 6 माह में अबतक बरहैनी रेंज से 8 तस्करों को वन अधिनियम के तहत जेल भेजा जा चुका है.

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वन क्षेत्राधिकारी रूप नारायण गौतम ने बताया कि तस्कर यहां से साइकिलों से लकड़ियों का ढुलान कर एक जगह पर इकट्ठा कर उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर बेचते हैं. विभाग द्वारा कार्रवाई के दौरान कई बार सीमाओं के चक्कर में कई तस्कर हाथ से निकल जाते हैं.

रूप नारायण गौतम ने बताया कि वन संपदा को बचाने के लिए उनकी साथी वनकर्मी पूरी जी-जान से काम करते हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि संसाधनों की कमी के चलते भी वनकर्मियों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके रेंज के सभी कर्मचारी पूरी निष्ठा के साथ वन संपदा को बचाने में पूरा योगदान दे रहे हैं.

Last Updated : Aug 2, 2019, 10:26 AM IST

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