उत्तराखंड

uttarakhand

दीपावली पर ऐपण और रंगोली बनाने की परंपरा, पेंट ने ली पारंपरिक रंगों की जगह

By

Published : Oct 31, 2021, 12:49 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 4:29 PM IST

पहाड़ों में किसी भी शुभ कार्य के दौरान घर को सजाने के लिए ऐपण और रंगोली से सजाने की परंपरा है. घरों को चावल, गेरू और कई तरह के पारंपरिक रंगों से सजाया जाता है लेकिन बदलते दौर में पारंपरिक रंगों की जगह पेंट ने ले ली है.

Haldwani aipan art
Haldwani aipan-art

हल्द्वानी:उत्तराखंड की ऐपण और रंगोली कला की पूरे देश में अलग ही पहचान है. दीपावली का त्योहार हो या घर में कोई शुभ और मांगलिक कार्य हो ऐपण और रंगोली घर में जरूर बनाई जाती है लेकिन आधुनिकता के इस दौर में पारंपरिक तरीके से तैयार रंगों से बनने वाली ऐपण और रंगोली की जगह अब पेंट या सिंथेटिक रंगों ने ले ली है .

पहाड़ों में किसी भी मांगलिक और शुभ कार्य के दौरान घर को सजाने के लिए ऐपण आकृति बनाने की परंपरा है. चावल, गेरू और कई तरह के पारंपरिक उत्पादन से तैयार किए गए रंगों से घरों को सजाया जाता है लेकिन बदलते दौर में युवा पीढ़ी की परंपरा को भूलती जा रही है. हालांकि, पहाड़ में आज भी बहुत से परिवार ऐसे हैं, जो इस परंपरा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे अब पारंपरिक रंगों की जगह अब पेंट ने ले ली है.

दीपावली पर ऐपण और रंगोली बनाने की परंपरा

हल्द्वानी की मोहिनी पंत ने बताया कि दीपावली पर घरों की साज-सज्जा के लिए रंग और पेंट का उतना महत्व नहीं है, उतना ही पहाड़ की प्राकृतिक रंगों की ऐपण कला का भी है. लोग अपने घरों के दरवाजे की देहरी, खिड़कियों और पूजा घरों को ऐपण कला से सजाने का काम किया जाता है लेकिन अभी भी कई ऐसे परिवार हैं जो इस परंपरा को बचाने का काम कर रहे हैं.

कंचन ने बताया कि दीपावली पर घरों में ऐपण और रंगोली बनाई जाती थी, जिसमें गेरू और चावल का का प्रयोग किया जाता था लेकिन अब बाजार में कई तरह के रंगों की भरमार है, जिससे घरों को सजाया जाता है. इसके अलावा मंदिर और पूजा घर में ऐपण से मां लक्ष्मी की चौकी भी सजाई जाती है.

पढ़ें- अल्मोड़ा: 400 साल पुराना ताम्र उद्योग झेल रहा उपेक्षा का दंश, कारीगरों के सामने रोजी रोटी का संकट

ऐपण और रंगोली की मान्यता:उत्तराखंड की लोक कला की स्थानीय शैली को ऐपण कहा जाता है. ऐपण का अर्थ 'लीपना' है. 'लीप' शब्द का अर्थ उंगलियों से रंग लगाना होता है, जो पुराने समय से चलता आ रहा है. दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए लोग अपने घरों के दरवाजों को सजाते हैं. ऐपण कला के माध्यम से महालक्ष्मी के पैर और स्वास्तिक बनाया जाता है. इसके अलावा कई ऐसी कलाकृतियां भी बनाई जाती है, जो धन का प्रतीक मानी जाती है.

Last Updated : Nov 18, 2021, 4:29 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details