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जैविक गांव में ही किसानों का जैविक खेती से मोह हो रहा भंग, कैसे बदलेंगे हालात?

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Published : Dec 31, 2019, 5:26 PM IST

हल्द्वानी के विजयपुर और नेकेल गांव को एक साल पहले ही जैविक गांव घोषित कर दिया गया है, लेकिन यहां के किसान प्रशिक्षण और सुविधाओं के अभाव में आधी अधूरी जैविक खेती कर रहे हैं.

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हल्द्वानी जैविक खेती

हल्द्वानी: किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है. इन योजनाओं में से एक जैविक खेती भी है. जिससे किसान ज्यादा से ज्यादा लाभ पा सकते हैं, लेकिन पहाड़ की तलहटी से लगे हल्द्वानी के विजयपुर और नेकेल गांव को भले ही सरकार ने जैविक गांव घोषित कर दिया हो, लेकिन जैविक खेती के नाम पर यहां के किसानों को कोई भी सुविधा नहीं मिल रही है.

आपको बता दें कि एक साल पहले ही विजयपुर और नकेल को जैविक गांव घोषित कर दिया गया है, लेकिन इसके वाबजूद भी यहां के किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण अभी तक नहीं दिया गया है. ऐसे में यहां के किसान जैविक खेती के नाम पर आधी-अधूरी जानकारी के साथ खेती कर रहे हैं.

किसानों का जैविक खेती से मोह हो रहा भंग.

हल्द्वानी के विजयपुर और नेकेल गांव का जल दूषित नहीं है. जिसकी वजह से सरकार ने दोनों गांवों को जैविक गांव घोषित किया है. लेकिन जैविक खेती के नाम पर किसानों को कोई भी सुविधा नहीं दी जा रही है. जैविक खेती के लिए न तो किसानों को कोई प्रशिक्षण दिया गया है और न ही जैविक खाद उपलब्ध कराई गई है. ऐसे में किसान मजबूरी में जैविक खेती में मुंह मोड़ रहे हैं.

वहीं क्षेत्रीय कृषि अधिकारी धीरज सिंह का कहना है कि दोनों गांव के किसानों को जैविक खेती का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. साध ही समय-समय पर जागरुकता कैंप भी लगाए जाते हैं. किसानों को सुविधा पहुंचाने के लिए किसान समूह भी बनाया गया है. जिससे किसान अपनी आय में इजाफा कर सकेंगे.

वहीं किसान प्रशिक्षण के अभाव में रासायनिक छिड़काव और पेस्टिसाइट का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे किसान को लाभ से ज्यादा नुकसान हो रहा क्योंकि रासायनिक के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होने लगती है, साथ ही यह भूमिगत जल स्त्रोतों को भी दूषित कर रहा है. ऐसे में अगर किसानों को जैविक खेती का लाभ मिले तो ये किसानों के साथ-साथ आम लोगों के लिए भी वरदान साबित होगा.

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