हल्द्वानी: शारदीय नवरात्र 29 सितंबर से शुरू हो रहा है. इस बार नवरात्रि 9 दिन की पूरी मनाई जाएगी. 6 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी. जबकि 7 अक्टूबर को महानवमी और 8 अक्टूबर को विजयदशमी मनाया जाना है. धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि में मां भगवती का आगमन पृथ्वी पर होता है. आइए हम जानते हैं शारदीय नवरात्र पर कलश स्थापना का शुभ मूहूर्त क्या है.
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी
देश के कोने-कोने में मनाए जाने वाले इस पर्व में 9 दिनों का दुर्गा की पूजा की जाती है. दुर्गा पूजा में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्र के 9 दिनों तक देवी की आराधना करने से मां अपने भक्तों को सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं. नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना, कलश स्थापना और झंडा स्थापना का विशेष महत्व है. कलश स्थापना करते समय मंगल स्नान पवित्रता पर विशेष ध्यान देना होता है.
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ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि मां भगवती की आराधना के लिए मिट्टी का कलश विशेष फलदाई माना जाता है. कलश स्थापना करते समय विधि-विधान का विशेष ख्याल रखना चाहिए. कलश को शुद्ध गंगाजल से स्नान कराकर नदी की रेत के ऊपर स्थापना ही फलदायी होता है.
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कलश स्थापना की विधि
कलश स्थापना की विधि बेहद आसान है. लेकिन, ये भी जरूरी है कि विधिविधान के साथ ही कलश स्थापना की जाए. इसके लिए लौंग, इलायची, पान सुपारी, रोली, कलावा, अक्षत चंदन और फल फूल के साथ ॐ दुर्गाय नमः का जाप करते हुए सात अनाजों को रेत के ऊपर रखकर कलश की स्थापना करें और कलश के ऊपर अखंड दीप जलाएं. 29 सितंबर को कलश स्थापना और ध्वज स्थापना की जाएगी.
ज्योतिषाचार्य नवीन चंद्र जोशी आगे बताते हैं कि मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए विधि-विधान और शुभ मुहूर्त के अनुसार कलश स्थापना किया जाना फलदायी होता है. इस बार नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर15 से लेकर दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक है.
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ज्योतिषाचार्य नवीन कहते हैं कि शारदीय नवरात्र मां भगवती की उपासना का पर्व है. ऐसे में विशेष साफ सफाई के अलावा आहार और निंद्रा का भी ख्याल रखना जरूरी है. शास्त्रों और पुराणों में उल्लेख है कि देवता भी मां भगवती की आराधना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि शारदीय नवरात्र में ही भगवान श्रीराम ने मां दुर्गा की आराधना की थी और विजयदशमी के दिन लंकापति रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी.