रामनगर: रामनगर में मजदूर संघ के अध्यक्ष प्रभात ध्यानी के नेतृत्व में तहसील परिसर में एक दिवसीय धरना दिया गया. इस दौरान प्रभात ध्यानी ने मांग की है कि लॉकडाउन के पूरे काल में सभी मजदूरों को पूरा वेतन मिले. साथ ही श्रम कानूनों में हुये बदलावों को भी रद्द किया जाए.
मजदूर संघ के अध्यक्ष प्रभात ध्यानी ने श्रम कानून में हुए बदलावों को श्रमिक विरोधी करार दिया. उन्होंने सरकार की मांग की है कि श्रम कानून में हुए बदलाव के फैसले को वापस लिया जाए. साथ ही असंगठित क्षेत्र में स्वरोजगार से जुड़े सभी मजदूरों के खाते में 10 हजार रुपये की धनराशी जमा की जाए. मजदूर संघ के अध्यक्ष प्रभात ध्यानी ने विभिन्न मांगों को लेकर रामनगर उपजिलाधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा.
रामनगर तहसील परिसर में श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध. पढ़ें:रामनगर: जगंली हाथी ने कार पर बोला हमला, सवारियों ने कूदकर बचाई जान
प्रभात ध्यानी ने कहा कि लॉकडाउन के कारण मजदूरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. वहीं, सरकार की तरफ से उनके लिये कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी गोदामों में भारी मात्रा में अनाज होने के बावजूद भी लोगों को उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.
प्रभात ध्यानी ने कहा अगर श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी बदलाव वापस नहीं लिए जाते हैं तो वे आंदोलन को और तेज करने को मजबूर होंगे. साथ ही उन्होंने प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाने की मांग की है. साथ ही ग्रामीण मजदूरों को 200 दिन के काम की गारंटी देने की मांग की है.
मजदूर संघ अध्यक्ष प्रभात ध्यानी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 35 श्रम कानूनों को निलंबित कर केवल तीन कानून लागू रखने का फैसला किया है. वहीं, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उड़ीसा और उत्तराखंड आदि राज्यों की सरकारों ने भी श्रम कानून में बदलाव कर लाखों मजदूरों के साथ नाइंसाफी की है.