हल्द्वानी:बीते दिनों कुमाऊं मंडल में आई भारी दैवीय आपदा के चलते जहां कई लोगों की जान गंवानी पड़ी तो वहीं लोगों के निजी संपत्ति के साथ-साथ सरकारी संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा है. इस आपदा ने किसानों को भी कमर तोड़ कर रख दी है. भारी बारिश के चलते नैनीताल जनपद और उधम सिंह नगर के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. खेतों में जलभराव और भू-कटाव के चलते किसानों की खड़ी धान और दलहन की फसल बर्बाद हो चुकी है.
संयुक्त निदेशक कृषि विभाग कुमाऊं मंडल प्रदीप सिंह ने बताया कि भारी बारिश से आई आपदा के चलते कुमाऊं मंडल के किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. ऐसे में किसानों के नुकसान का आकलन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि भारी बारिश और जलभराव के चलते सबसे ज्यादा उधम सिंह नगर में फसल बर्बाद हुई है. जहां किसानों की खड़ी धान और दलहन की फसल बर्बाद हुई है. उन्होंने बताया कि प्राथमिक तौर पर कुमाऊं मंडल में अभी तक 28693 हेक्टेयर फसल को नुकसान पहुंचा हैं. जबकि करीब 104 करोड़ 23 लाख रुपए का नुकसान का आकलन किया गया है. उधम सिंह नगर में 27414 हेक्टेयर फसल की क्षति हुई है. जबकि, 12425 हेक्टेयर भूमि का कटाव भी हुआ है. आपदा से किसानों को करीब 97 करोड़ का नुकसान पहुंचा है.
आपदा से किसानों की 28693 हेक्टेयर फसल बर्बाद. पढ़ें-रामनगर: सैलानियों की जान से खिलवाड़, लापरवाह रिसोर्ट संचालक पर कार्रवाई की मांग
वहीं, नैनीताल जनपद में 1000 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है, जबकि 12 सौ हेक्टेयर भूमि बर्बाद हुई है. जिसके तहत करीब 7 करोड़ रुपए का किसानों का नुकसान हुआ है.अल्मोड़ा जनपद में 18 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई है, जबकि 50 हेक्टेयर भूमि का कटाव भी हुआ है. जिसके तहत करीब 11 लाख की क्षति का आकलन किया गया है. चंपावत जनपद में 261 हेक्टेयर फसल बर्बाद हुई हैं, जबकि भू कटाव की सूचना आनी अभी बाकी है. आपदा से करीब 12 लाख रुपए की फसल की बर्बादी हुई है.
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इसके अलावा बागेश्वर और पिथौरागढ़ में अभी तक फसल बर्बाद और भूमि कटाव की कोई प्राथमिक सूचना नहीं मिली है. क्योंकि इन क्षेत्रों में बरसात से पहले ही फसल की कटाई हो चुकी थी, जिस कारण नुकसान का आकलन नहीं हो पाया है. प्रदीप सिंह ने आगे बताया कि किसानों के हुए नुकसान का आकलन प्राथमिक रिपोर्ट है. फाइनल रिपोर्ट अभी आनी बाकी है, उम्मीद जताई जा रही है कि यह नुकसान और अधिक हो सकता है. क्योंकि कई जगहों पर अभी भी रास्ते बंद हैं. राजस्व विभाग के कर्मचारी के साथ-साथ कृषि विभाग के कर्मचारी भी नुकसान के आकलन में लगे हुए हैं. रिपोर्ट आने के बाद शासन को भेजा जाएगा, जिसके बाद किसानों को मुआवजा देने की कार्रवाई की जाएगी.