हल्द्वानी: उत्तराखंड के पहाड़ लगातार आग से धधक रहे हैं. वन विभाग आग पर काबू पाने की लगातार कोशिश कर रहा है, लेकिन नाकाम साबित हो रहा है. बताया जा रहा है कि पहाड़ों पर आग लगने का मुख्य कारण चीड़ के पेड़ हैं.
उत्तराखंड में हर साल आग की घटनाओं में पहाड़ के हजारों हेक्टेयर वन सम्पदा जलकर खाक हो जाती है. वन विभाग पहाड़ पर लगने वाली आग को रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित होता है. वन विभाग का मानना है कि ये आग लगने की मुख्य वजह चीड़ के पेड़ हैं. चीड़ के पेड़ से सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व मिलता है लेकिन हर साल इन्हीं से करोड़ों की वन सम्पदा जलकर खाक हो जाती है.
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बताया जाता है कि पहाड़ के जंगलों में भारी मात्रा में सूखे हुए पत्ते होते हैं, इन्हीं पत्तों में चीड़ की सुखी हुई पत्तियां (पिरूल) भी होती हैं, जो अतिज्वलनशील होती हैं, ऐसा इसलिये क्योंकि चीड़ के पेड़ में लीसा का मात्रा अधिक होता है, जो काफी ज्वलनशील होता है. ये आग को और भी भड़काने का काम करता है. गर्मियों में तापमान अधिक होने के चलते पिरूल में कई बार पत्थरों की घर्षण से स्वतः ही आग लग जाती है.