उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

आखिर क्यों विघ्नहर्ता गणेश को मोदक का भोग पसंद है, जानें धार्मिक कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र कार्तिकेय और गणेश की परीक्षा ली थी, जिसमें विघ्नहर्ता गणेश जी सफल हुए. जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने गणेश को अमृत से बना मोदक दिया. साथ ही सबसे पहले पूज्य होने का भी आशीर्वाद दिया.

Vighnaharta Ganesha likes to eat Modak
विघ्नहर्ता गणेश को मोदक का भोग पंसद

By

Published : Sep 11, 2021, 4:11 PM IST

Updated : Sep 11, 2021, 4:49 PM IST

हल्द्वानी: गणेश महोत्सव की शुरुआत 10 सितंबर से हो चुकी है, जो 19 सितंबर तक मनाया जाएगा. भगवान गणेश की मूर्ति जगह-जगह पंडालों के साथ-साथ घरों में भी स्थापित की गई हैं. भक्त 10 दिनों तक भगवान गणेश की उपासना के लिए तरह-तरह के प्रसाद के साथ-साथ पूजा अर्चना कर रहे हैं. लेकिन मोदक यानी लड्डू भगवान गणेश जी का सबसे प्रिय भोग माना जाता है. इसलिए भगवान गणेश को भोग लगाने के लिए मिठाई की दुकानों पर मोदक मिठाई तैयार किए जा रहे हैं.

विघ्नहर्ता गणेश को मोदक का भोग बहुत प्रिय है. मोदक बनाने के अलग-अलग तरीके हैं. हल्द्वानी में मिठाई की दुकानों पर भगवान गणेश को भोग लगाने के लिए मोदक की डिमांड की जा रही है, जिसमें बेसन, मावे, काजू, गुड़, चावल आटा और नारियल के मोदक शामिल हैं. ग्राहकों की डिमांड को देखते हुए दुकानदारों ने भी तरह-तरह के मोदक तैयार किए हैं.

गणेश उत्सव में मोदक की बढ़ी डिमांड

दुकानदारों की मानें तो सबसे ज्यादा मावे, बेसन और काजू के मोदक की डिमांड हो रही है. इनकी कीमत ₹450 से लेकर ₹1,100 प्रति किलो है. दुकानदारों की मानें तो इस बार सार्वजनिक स्थानों के साथ-साथ लोग घरों में भी गणेश महोत्सव मना रहे हैं. ऐसे में इस बार मोदक की अच्छी डिमांड की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें:उत्तराखंड में 'गणपति बप्पा मोरया' के जयकारे के साथ घर-घर विराजमान हुए विघ्नहर्ता

भगवान गणेश को क्यों पसंद है मोदक:धार्मिक कथा अनुसार एक समय सभी देवताओं ने माता पर्वती जी को अमृत से तैयार किया हुआ एक दिव्य मोदक दिया. मोदक देखकर शिव जी के दोनों पुत्र कार्तिकेय एवं गणेश माता से मोदक मांगने लगे. तब माता पार्वती ने कहा कि यह मोदक अमृत से बना हुआ है. इसलिए यह मोदक आसानी से प्राप्त नहीं होगा. अगर आप दोनों मोदक प्राप्त करना चाहते हैं तो एक परीक्षा देनी होगी, जो परीक्षा पास करेगा उससे यह मोदक मिलेगा.

माता पार्वती ने कहा कि आप दोनों में से जो भी धर्माचरण के द्वारा श्रेष्ठता प्राप्त करते हुए पहले ब्रह्मांड में सभी तीर्थों का दर्शन करके आएगा. वही, मोदक का सच्चा अधिकारी होगा. पार्वती की बात सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मयूर (मोर) पर बैठकर तीर्थ दर्शन के लिए निकल पड़े, लेकिन गणेश जी का वाहन मूषक बहुत छोटा एवं उड़ने में असमर्थ होने के कारण वह तीर्थ दर्शन में असमर्थ थे.

उन्होंने श्रद्धा पूर्वक अपने माता-पिता शिव-पार्वती की परिक्रमा की और पूजा करके उनके सम्मुख सबसे पहले खड़े हो गए. इसके बाद माता पार्वती ने कहा कि समस्त तीर्थों में किया हुआ स्नान, संपूर्ण देवताओं को किया हुआ नमस्कार, सब यज्ञों का अनुष्ठान, सब प्रकार के व्रत मंत्र योग और संयम का पालन सभी साधक माता-पिता के पूज्य अंश के बराबर होते हैं. जिसके बाद माता पार्वती ने वह मोदक गणेश को दे दिया. साथ ही प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद भी दिया. तभी से भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाए जाने लगा.

Last Updated : Sep 11, 2021, 4:49 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details