नैनीतालः उत्तराखंड कैबिनेट द्वारा देहरादून में एक निजी नर्सिंग होम को नियम विरुद्ध तरीके से संचालित करने की अनुमति देने का मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचा है. मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान की खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते के भीतर जवाब कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.
बता दें कि देहरादून निवासी समाजसेवी अभिनव थापर द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि राज्य सरकार द्वारा एक निजी नर्सिंग होम को फायदा पहुंचाने के लिए नर्सिंग होम एक्ट के विपरीत जाकर संचालन की अनुमति दी गई है. याचिकाकर्ता का कहना है नर्सिंग होम खोलने के लिए नर्सिंग होम के आगे 9 मीटर की सड़क होना आवश्यक है. लेकिन कैबिनेट द्वारा एक निजी व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए 3 मीटर चौड़ी सड़क वाले स्थान पर नर्सिंग होम संचालन की अनुमति दी गई.
सरकार पर निजी नर्सिंग होम को फायदा पहुंचाने का आरोप याचिकाकर्ता का कहना है कि उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार को नर्सिंग होम एक्ट में सुधार की आवश्यकता है. उत्तराखंड में बेहतर स्वास्थ्य सेवा देने के लिए राज्य सरकार को वन टाइम सेटलमेंट 2021 (OTS- 2021) स्कीम के तहत नर्सिंग होम संचालकों को राहत देनी चाहिए. ताकि, कोरोना की तीसरी लहर के दौरान प्रदेश के अस्पतालों में बेड की कमी न हो. साथ ही लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिल सकें. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार के कड़े नियमों में बदलाव होने से उत्तराखंड के कई नर्सिंग होम बंद होने से बच जाएंगे.
ये भी पढ़ेंःउत्तराखंड की चारधाम यात्रा पर HC ने लगाई रोक, डेथ ऑडिट रिपोर्ट पर मांगा जवाब
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अभिजय नेगी द्वारा कोर्ट को बताया गया कि अगर सरकार के द्वारा नर्सिंग होम एक्ट के नियमों में सुधार नहीं किया गया तो आने वाले समय में उत्तराखंड के कई नर्सिंग होम बंद हो जाएंगे. जिससे यहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल पाएगी. लिहाजा सरकार को एक्ट में बदलाव करना चाहिए.