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कालसी में साल के पेड़ों के अवैध कटान का मामला, सख्त हुआ हाईकोर्ट, प्रमुख वन संरक्षक को दिये ये निर्देश

कालसी क्षेत्र में साल के 174 पेड़ काटे जाने के मामले में हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड को व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने के निर्देश दिये हैं. साथ ही अवैध कटान की अनुमति देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों के बारे में भी अवगत करवाने को कहा है.

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कालसी में साल के पेड़ों के अवैध कटान का मामला

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 12, 2023, 8:23 AM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने विकासनगर कालसी क्षेत्र देहरादून में साल के 174 पेड़ काटे जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने विपक्षी संख्या 10 अर्चना अर्चना भार्गव से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है. मामले में पीसीसीएफ व यूएस नागिरता ग्रहण करने वाली विपक्षी संख्या 10 अर्चना कोर्ट में व्यक्तिगत रुप से पेश हुई. विपक्षी ने कोर्ट में कहा पिछले पांच साल से वे इंडिया नहीं आई. उन्होंने कहा जो मुकदमा वन अधिकारियों के द्वारा दर्ज दर्ज किया है उनका रिकॉर्ड कोर्ट में तलब किया जाये. उन्होंने कहा मुझे इस मामले में कोई भी जानकारी नहीं है. जिस पर कोर्ट ने दर्ज मुकदमों की जानकारी प्राप्त करने के लिए निचली अदालत का रिकॉर्ड तलब किया है.

मामले के अनुसार सन 2021 में कोर्ट ने विकास नगर निवासी राकेश तोमर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था प्रमुख वन संरक्षक इस मामले की स्वयं मौके का मुवायना कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा इतने बड़े स्तर पर पेड़ों का अवैध कटान वन व राजस्व विभाग की मिलीभगत के बिना सम्भव नहीं है. कोर्ट ने क्षेत्र के जिम्मेदार वन अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने पर भी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा संबंधित वन और राजस्व अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी के बिना इतने बड़े पैमाने पर पेड़ों की अवैध कटाई कैसे की जा सकती है. कोर्ट ने कहा वन और राजस्व अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में, जब पेड़ों की कटाई हुई थी, उन्होंने पेड़ों की अवैध कटाई को अंजाम देने वाले दोषी व्यक्तियों को अपनी मौन सहमति और सक्रिय संरक्षण प्रदान किया था. प्रमुख वन संरक्षक द्वारा पेश किए गए शपथ पत्र में यह नहीं बताया गया था कि उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है. उन अधिकारियों की क्या जिम्मेदारी तय की गई है.

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हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा पेड़ों की कटाई के बाद ली गई क्षेत्र की तस्वीरें भी रिकॉर्ड में रखी हैं. जब पेड़ काटे गए हैं, तब क्षेत्र में पड़े लकड़ी के लठ्ठों भी देखे जा सकते हैं. हाईकोर्ट ने प्रमुख वन संरक्षक, उत्तराखंड को व्यक्तिगत रूप से मामले को देखने का निर्देश दिया है. वे क्षेत्र का निरीक्षण करेंगे और अपना शपथ पत्रदाखिल करेंगे. साथ ही यह भी बताएंगे कि अवैध कटान की अनुमति देने के लिए जिम्मेदार अधिकारी कौन हैं. वे आपराधिक कृत्य करने वाले संबंधित व्यक्तियों / अधिकारियों के खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई करेंगे. साथ ही अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि किसी भी व्यक्ति द्वारा क्षेत्र में पेड़ों की और कटान न किया जाये. मामले की अगली सुनवाई1 जनवरी को होगी.

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