नैनीताल: राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को नैनीताल हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास और अन्य सुविधाओं का किराया माफ करने वाली पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और भगत सिंह कोश्यारी की याचिका को खारिज कर हाई कोर्ट ने पुराने फैसले को बरकरार रखा है.
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी और विजय बहुगुणा ने हाई कोर्ट में सरकारी आवास के किराए में माफी को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. जिसको हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्रियों ने कोर्ट से अपील करते हुए कहा कि आवास और सुविधाओं का किराया बाजार दर पर वसूलने के आदेश पर पुनर्विचार किया जाए.
हाईकोर्ट से पूर्व मुख्यमंत्रियों को झटका बता दें कि इससे पहले मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने पूर्व मुख्यमंत्री को आदेश दिए थे कि सरकार को 6 माह के भीतर बाजार रेट के हिसाब से किराया जमा कराया जाए. साथ ही सरकार द्वारा पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी कई अन्य सुविधाओं के खर्च भी जमा करने होंगे. पूर्व में सरकार ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों पर 2 करोड़ 85 लाख रुपये की राशि बकाया होने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी.
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इस रिपोर्ट में सरकार द्वारा बताया गया कि पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल निशंक पर 40 लाख 95 हजार, बीसी खंडूड़ी पर 46 लाख 59 हजार, विजय बहुगुणा पर 37 लाख 50 हजार, भगत सिंह कोश्यारी पर 47 लाख 57 हजार रुपये का बकाया है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपए की राशि बकाया थी.
मामले में नैनीताल हाई कोर्ट में देहरादून की रूरल लिटिगेशन संस्था ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी भवन और सुविधाएं दी जा रही हैं, जो गलत है. साथ ही जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं, तब से उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूलने की मांग की गई थी.
पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने बताया कि उनसे 30500 रुपये प्रतिमाह की दर से किराया वसूला जा रहा है, जबकि जो आवास उन्हें आवंटित किया गया था, वो सिंचाई विभाग की संपत्ति है, तो किराया भी सिंचाई विभाग को वसूलना चाहिए. वहीं, इस मामले में पूर्व सीएम विजय बहुगुणा ने भी बाजार दर पर किराया वसूलने के आदेश पर पुनर्विचार की अपील की थी.
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मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चन्द्र खुल्बे की खण्डपीठ ने पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. अब पूर्व मुख्यमंत्री को बकाया राशि जमा करवानी पड़ेगी.