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Budget 2019: 'सीता' के बजट से कुलियों को है ये आस

कुमाऊं के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन लालकुआं के कुली बताते हैं कि उन्हें हफ्ते में दो साप्ताहिक ट्रेनों पर ही काम मिल पाता है. कुलियों की मानें तो दिनभर मेहनत करने के बावजूद भी वे मात्र 70 रुपये ही जुटा पाते हैं. ऐसे में उनकी मांग है कि उन्हें ग्रुप डी में शामिल किया जाए.

दो जून की रोटी को तरस रहे रेलवे कुली

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Published : Jul 4, 2019, 7:49 PM IST

हल्द्वानी:5 जुलाई को आम बजट के साथ-साथ रेलवे बजट भी आएगा. इस बजट से जहां रेलवे को काफी उम्मीदें हैं. वहीं रेलवे स्टेशनों पर बोझा ढो रहे कुली भी खुद को ग्रुप डी में शामिल किये जाने की गुहार लगा रहे हैं. कुमाऊं के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन लालकुआं के कुली बताते हैं कि सौ रुपये दिन का कमाना भी मुश्किल हो गया है.

कुलियों की चतुर्थ श्रेणी में शामिल किये जाने की मांग

हर साल रेल बजट में करोड़ों रुपए रेलवे स्टेशनों पर खर्च किए जाते हैं. लेकिन इन स्टेशनों पर कार्य कर रहे कुलियों की हालत जस की तस बनी रहती है. लालकुआं का कुली हट आज भी पुराने और जर्जर स्थिति में है. लालकुआं रेलवे स्टेशन पर 8 कुली काम करते हैं, लेकिन वे बताते हैं कि उन्हें हफ्ते में दो साप्ताहिक ट्रेनों पर ही काम मिल पाता है. कुलियों की मानें तो दिनभर मेहनत करने के बावजूद भी वे लोग मात्र 70 रुपये ही जुटा पाते हैं.

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कुलियों का कहना है कि अब वे अपना कुली का काम छोड़कर दूसरे कामों की तलाश कर रहे हैं. लेकिन इस रेल बजट से उनको एकमात्र उम्मीद है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार कुलियों को ग्रुप डी में शामिल कर ले तो उनको कुछ न कुछ न्यूनतम मानदेय जरूर मिलेगा. जिससे उनको अपनी रोजी-रोटी चलाने में मदद मिलेगी. रेल मंत्री से गुहार लगाते हुए कुलियों ने कहा कि सरकार रेल विभाग में सबसे निचले स्तर पर मजदूरी कर रहे कुलियों के बारे में भी कुछ सोचे.

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