हल्द्वानी: उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश को जैविक प्रदेश घोषित तो कर दिया है, लेकिन यहां के किसानों को अपने जैविक उत्पादों के लिए बाजार नहीं मिल पा रहा है. इसके चलते किसान अपने उत्पाद बेच नहीं पा रहे हैं. जैविक प्रदेश की बात करने वाली सरकार अभी तक प्रदेश में कहीं भी जैविक मंडी तक की स्थापना नहीं कर पाई है. ऐसे में पहाड़ के किसान अपनी मेहनत से जैविक उत्पादन तैयार कर बाजार में ला तो रहे हैं, लेकिन उनके उत्पादनों के दाम नहीं मिल पा रहे हैं. ऐसे में सरकार की जैविक प्रदेश बनाने के सपने को पलीता लग रहा है. साथ ही किसानों को भी भारी नुकसान हो रहा है.
प्रदेश को जैविक प्रदेश घोषित किए जाने के बाद यहां के किसान अपने प्रयासों से जैविक खेती कर कई तरह के उत्पादन तैयार कर रहे हैं. लेकिन जैविक खेती करने वाले किसानों को बाजार नहीं मिल पा रहा हैं. सरकार द्वारा जैविक खेती करने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं. किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. लेकिन सरकार उनके उत्पादों को बाजार नहीं दे पा रही है. ऐसे में यहां के किसान जैविक खेती करने से पीछे हट रहे हैं.
जैविक खेती करने वाले किसान नरेंद्र मेहरा का कहना है कि जिस तरह से सरकार किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रही है, उसी तरह से सरकार को चाहिए कि जैविक उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराए. इससे किसान जैविक खेती की ओर आकर्षित हो सकेंगे.