हल्द्वानीःलॉकडाउन के बीच सरकार ने शराब की दुकानें खोल दी हैं. दुकान खुलते ही पहले दिन शराब की दुकानों पर जमकर भीड़ देखी गई, लेकिन अब शराब की दुकानों पर शराब के खरीदार नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में शराब कारोबारी परेशान हैं. लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था खराब हो गई है. लोग बेरोजगार हो चुके हैं, लोगों के पास पैसा नहीं है.
ऐसे में अब शराब के खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं. बताया जा रहा है कि शराब की बिक्री कम हो जाने से सरकार को राजस्व के साथ-साथ शराब कारोबारियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है. यहां तक कि कई दुकानदार अब अपनी दुकानों को सरेंडर करने के मूड में हैं.
इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से शराब की दुकानों का आवंटन हो चुका है. लॉकडाउन के चलते शराब की दुकानें 1 महीने देर से यानी बीते 4 मई से खुली हैं. शराब की दुकानें खुल तो हो गईं, लेकिन शराब के खरीदार दुकानों पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. ऐसे में शराब कारोबारी चिंतित हैं.
ये भी पढ़ेंःलॉकडाउन इफेक्ट: दांव पर श्रमिकों की आजीविका, अर्थव्यवस्था की सुस्ती से बढ़ा जोखिम
शराब कारोबारियों की मानें तो सरकार के द्वारा तय किए गए अधिभार को शराब कारोबारियों को हर हाल में जमा करना होता है, लेकिन शराब की बिक्री नहीं होने के चलते दुकानदारों के पास अधिभार जमा करने तक के पैसे नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में शराब कारोबारी घाटे में जा रहे हैं.
संयुक्त आबकारी आयुक्त केके कांडपाल के मुताबिक अर्थव्यवस्था खराब होने के चलते शराब की बिक्री कम हो रही है. सूचना मिली है कि कुछ शराब कारोबारी अपनी शराब की दुकानों को सरेंडर करने पर विचार कर रहे हैं. फिलहाल अभी तक विभाग के पास कोई लिखित मामला सामने नहीं आया है. लिखित मामला सामने आएगा तो सरकार को अवगत कराया जाएगा.
गौर हो कि कुमाऊं मंडल के 6 जिलों से संचालित होने वाली शराब की दुकानों से इस वित्तीय वर्ष में 800 करोड़ का राजस्व का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन, अभी से शराब कारोबारियों ने हाथ पीछे खींचने शुरू कर दिये हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि शराब के कारोबारियों के साथ-साथ सरकार को भी शराब से खासा राजस्व का नुकसान हो सकता है.