नैनीताल: देश की बुनियाद की कल्पना बिना मजदूरों के योगदान की नहीं की जा सकती. देश में विकास पटरी पर तभी तेजी से दौड़ता है, जब मजदूर अपने हाथों से किसी भी निर्माण को स्वरुप देता है. तब जाकर देश की तरक्की का सपना साकार हो पाता है. लेकिन इसके बदले में इन मजदूरों को सबसे बड़ी मुश्किल दो वक्त की रोटी है. आज विश्व मजदर दिवस के मौके पर भी कई मजदूर अपनी बदहाली की आंसू रोने को मजबूर हैं.
देश में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लागू है. जिसका सबसे ज्यादा असर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है. ऐसा ही कुछ बिहार से नैनीताल आए दो मजदूर मजनू और उदय का हाल है. जो लॉकडाउन में अपने परिवार से कोसों दूर यहां फंसे पड़े है. अब इनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
नैनीताल समेत आसपास के क्षेत्रों में मजदूरी करने वाले बिहारी मूल के मजदूर लॉकडाउन की वजह से काफी परेशान हैं. यह मजदूर नैनीताल के पंगुट, मुक्तेश्वर, धानाचुली समेत आसपास के गांवों में फंसे हुए हैं. कई ऐसे भी मजदूर हैं जिनको मात्र एक समय का खाना मिल रहा है. ऐसा ही एक मजदूर है मजनू, जो बिहार के बेतिया जिले का रहने वाले हैं. वह नैनीताल में मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करता था, लेकिन लॉकडाउन की वजह से आज उसके सामने दो जून की रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
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