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सरोवर नगरी में है नॉर्थ एशिया का पहला मेथोडिस्ट चर्च, 1858 में विलियम बटलर ने की स्थापना

Christmas celebration in Nainital नैनीताल के सबसे पुराने मेथोडिस्ट चर्च में क्रिसमस पर लोगों ने प्रार्थना की. नैनीताल शहर में कई जगह पर चर्च और चैपल मौजूद है. अपने ऐतिहासिक महत्व के चलते नैनीताल के चर्च लोगों की आस्था और पर्यटन का मुख्य केंद्र बन रहे हैं.

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चर्च

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 25, 2023, 4:08 PM IST

Updated : Dec 25, 2023, 4:33 PM IST

नैनीतालः देशभर में आज क्रिसमस की धूम है. उत्तराखंड में भी क्रिसमस पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. क्रिसमस के मौके पर जगह-जगह विशेष तैयारियां की गई हैं. खासकर पर्यटन स्थलों पर क्रिसमस को लेकर लोगों में अलग का उत्साह है. वहीं सरोवर नगरी नैनीताल का ईसाई धर्म से विशेष इतिहास रहा है. नैनीताल में सदन एशिया (नॉर्थ एशिया) का सबसे पुराना मेथोडिस्ट और पहला चर्च स्थापित है. क्रिसमस के मौके पर ईसाई समुदाय के लोग दूर-दूर से यहां आकर प्रार्थना करते हैं.

नैनीताल की प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही नैनीताल शहर ईसाई धर्म का केंद्र भी रहा है. शहर में दर्जन भर चर्च और चैपल मौजूद है. जहां सप्ताह भर कार्यक्रम आयोजित होते हैं. जिनमें ईसाई समुदाय के लोगों के साथ-साथ यहां आने वाले पर्यटक भी प्रतिभाग करते हैं. शहर के मल्लीताल रिक्शा स्टैंड के समीप स्थित मेथोडिस्ट चर्च का इतिहास बेहद पुराना रहा है. इस चर्च की स्थापना 1858 में विलियम बटलर द्वारा की गई थी. इसी के साथ ये अंग्रेजों द्वारा सदन एशिया (नॉर्थ एशिया) में स्थापित किया गया पहला मेथोडिस्ट चर्च भी बन गया.

अंग्रेजों को नैनीताल शहर बेहद पसंद था. वो इस शहर की तुलना यूरोपियन देशों से किया करते थे. अंग्रेजों ने ही इस शहर को छोटी विलायत का नाम दिया था. यही कारण रहा कि अंग्रेजों ने इस खूबसूरत शहर में पहली बार मेथोडिस्ट चर्च की नींव रखी. नैनीताल पहुंचने वाले विदेशी सैलानियों के साथ ही भारतीय सैलानी के लिए मेथोडिस्ट चर्च प्रार्थना के लिए पहली पसंद रहता है. खासकर क्रिसमस के समय नैनीताल के चर्चों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचते हैं.
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जर्मनी के शीशों से बनी है प्रभु यीशु की प्रतिमा: 1844 में स्थापित हुए शहर के सेंट फ्रांसिस कैथोलिक चर्च का इतिहास भी बेहद पुराना रहा है. इस चर्च को लेक चर्च भी कहा जाता है. ब्रिटिश स्थापत्य कला का यह गिरजा घर अद्भुत नमूना है. जिसमें जर्मनी से लाए शीशों (कांच) से प्रभु यीशु की प्रतिमा बनी है.

लक्सर में चर्च में मनाया गया क्रिसमस: उधर हरिद्वार के लक्सर शिवपुरी मोहल्ले में स्थित चर्च में क्रिसमस त्योहार धूमधाम से मनाया गया. लक्सर के शिवपुरी में स्थित चर्च में ईसाई धर्म के लोगों ने चर्च पहुंचकर प्रार्थना की और दूसरे क्रिसमस की बधाई दी और एक दूसरे को केक खिलाकर क्रिसमस डे की शुभकामनाएं दी. बता दें कि हर साल प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के मौके पर क्रिसमस डे मनाया जाता है. क्रिसमस ईसाई धर्म का सबसे खास और पवित्र त्योहार है.

Last Updated : Dec 25, 2023, 4:33 PM IST

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