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आज है शारदीय नवरात्रि की अष्टमी, जानिए शुभ मुहूर्त और कन्या पूजन विधि - दुर्गाष्टमी

शारदीय नवरात्रि समापन की ओर हैं. आज अष्टमी है. कल नवमी है. अष्टमी और नवमी पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है. ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी से जानिए अष्टमी नवमी पर शुभ मुहूर्त और कन्या पूजन की विधि.

Shardiya Navratri
शारदीय नवरात्रि

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Published : Oct 3, 2022, 7:54 AM IST

हल्द्वानी:26 सितंबर से शुरू हुई शारदीय नवरात्रि 4 नवंबर को संपन्न हो रही हैं. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. नौ दिन तक मां भगवती की आराधना के बाद कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है. देवी पुराण के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर 9 कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है.

आज अष्टमी, कल नवमी: ज्योतिषाचार्य डॉ नवीन चंद्र जोशी के मुताबिक इस बार अष्टमी तिथि 3 अक्टूबर 2022 यानी आज सोमवार को है. नवमी तिथि 4 अक्टूबर 2022 यानी मंगलवार को है. विजयदशमी 5 सितंबर बुधवार को मनाई जाएगी. अष्टमी के साथ साथ नवमी को कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. कई लोग महाष्टमी तो कई लोग महानवमी को कन्या पूजन के साथ अपने व्रत का परायण करते हैं. सुबह से लेकर दोपहर तक कन्या पूजन करना उत्तम रहता है. साथ ही इस दौरान कन्याओं की उम्र का विशेष ख्याल रखें.

शारदीय नवरात्रि की अष्टमी

इन कन्याओं का करें पूजन: मान्यता है कि कन्या पूजन के दौरान दो वर्ष से दस वर्ष तक की आयु की कन्या का पूजन होना चाहिए. अष्टमी अथवा नवमी को कन्याओं के पैर धोकर भोजन करना और सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए. कन्या और बटुक की पूजा करने से मां भगवती प्रसन्न होती हैं. दुख दारिद्रय दूर होता है. मां धन समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

ऐसे करें कन्या पूजन:कन्या पूजन में सबसे पहले कन्याओं के चरण धोने चाहिए. इसके बाद उन्हें तिलक लगाएं. फिर आसन पर बैठाएं और उन्हें भोजन कराएं. कन्या पूजन में कन्याओं को उपहार में लाल वस्त्र भेंट किए जाते हैं. यदि आप वस्त्र नहीं दे पा रहे हैं तो आप लाल रंग की चुन्नी भी उन्हें उपहार के रूप में दे सकते हैं. ऐसा करने से भी आपको देवी मां का आशीर्वाद मिलेगा. इसके अलावा उन्हें एक फल भी उपहार के रूप में जरूर दें. सामर्थ्य के अनुसार उनको दान भी करें.
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नवरात्रि पूजन के बाद कन्याओं को श्रृंगार की सामग्री देनी चाहिए. श्रृंगार के सामान में लाल चूड़ियां, बिंदी, नेल पेंट, लिपस्टिक, काजल आदि सामान दे सकते हैं. मान्यता है कि कन्याओं को दिया गया श्रृंगार सीधे मां देवी को अर्पित होता है.

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