देवउठनी एकादशी पर शुभ तुलसी विवाह. हरिद्वार: आपने अपने जीवन में कई विवाह देखे होंगे. लेकिन आज जो विवाह हम आपको दिखाने जा रहे हैं, यह विवाह अपने आप में अद्भुत विवाह है. यह विवाह किसी आमजन का नहीं, बल्कि भगवान विष्णु का तुलसी माता के साथ विवाह है. इसकी तैयारी कई दिनों से की जा रही थी. इस विवाह में शालीमार को दूल्हे की तरह सजाया गया है. तुलसी माता को भी दुल्हन की तरह सोलह शृंगार करके सजाया गया है.
हरिद्वार में हुआ तुलसी विवाह: विवाह कराने वाले पंडित देवेंद्र कृष्ण आचार्य ने बताया कि इस विवाह को करने से कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है. यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन में कन्यादान करना चाहता है, तो वह इस विवाह को कर सकता है. इस विवाह को संपन्न कराने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. जीव का कल्याण करते हैं और उसे मोक्ष प्रदान करते हैं. धर्मशास्त्रों के अनुसार तुलसी पूजन एवं तुलसी विवाह करने से भगवत कृपा द्वारा घर में सुख-शांति, समृद्धि का वास होता है.
शालिग्राम से होता है तुलसी विवाह: वहीं पंडित देवेंद्र कृष्णाचार्य ने बताया कि इस विवाह को कराने के लिए भी उसी तरह पूरी तैयारी करनी होती है, जिस तरह से आमजन का विवाह होता है. तुलसी माता को दुल्हन की तरह सजाया जाता है. फिर शालिग्राम की बारात को लेकर एक स्थल पर जाया जाता है. वहां पर बारात का स्वागत किया जाता है. फिर वरमाला की जाती है. इस दौरान जो भी व्यक्ति कन्यादान करता है, उसे एक दिन पहले से ही व्रत रखना पड़ता है. यह व्रत निर्जला व्रत होता है, जिसमें कुछ भी ना तो खा सकते हैं, ना ही पी सकते हैं. जिसके बाद वह व्यक्ति इस कन्यादान को कर सकता है. वहीं जब तुलसी माता की विदाई होती है तो उसमें भी बैंड बाजों के साथ तुलसी माता को अपने घर लेकर जाया जाता है.
दूल्हे जैसे सजते हैं शालिग्राम, तुलसी बनती हैं दुल्हन: जब इस विवाह को कराने वाले परिवार से वार्तालाप किया गया तो उन्होंने बताया कि उनकी इच्छा थी कि वह अपने जीवन में तुलसी विवाह कराना चाहते थे. उन्होंने बताया कि आज विवाह संपन्न होने के बाद वह तुलसी माता को अपने घर ले जाकर दुल्हन की तरह ही अपने घर में रखेंगे. उन्होंने बताया कि इस विवाह के लिए हमारे द्वारा कई दिनों से तैयारी की जा रही थी. जिस तरह किसी दुल्हन का शृंगार किया जाता है, उसके लिए गहने, जेवरात और वस्त्र इत्यादि लिए जाते हैं. इसी तरह तुलसी माता के लिए भी यह सब कार्य किए गए. शालिग्राम को भी दूल्हे की तरह सजाया है. उनके लिए सेहरा और आभूषण लिए गए हैं.
तुलसी विवाह का महत्व:तुलसी विवाह के साथ ही त्यौहारों का सीजन भी शुरू हो जाता है. शादियों के लिये मुहूर्त खुल जाते हैं. हर जगह खुशियां ही खुशियां आ जाती हैं. जिस घर में किसी लड़के या लड़की की शादी में अड़चन आ रही हो, उन्हें जरूर तुलसी विवाह करवाना चाहिए. ऐसा करने से विवाह की सारी अड़चनें दूर हो जाएंगी. जिनकी अपनी बेटी नहीं है, वो जरूर तुलसी विवाह कर कन्यादान करें. ऐसा करने से असली कन्यादान का फल मिल जाता है.
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