हरिद्वारःकोरोना को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने चारधाम यात्रा स्थगित कर दी हैं. सरकार के इस फैसले से टूर एंड ट्रैवल से जुटे व्यापारी मायूस हो गए हैं. ट्रैवल व्यवसायियों का कहना है कि लगभग 2 साल से पर्यटन व्यवसाय ठप है. इस बार की चारधाम यात्रा से सभी को काफी उम्मीदें थी. लेकिन राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा स्थगित करने का निर्णय लिया है. सरकार का ये फैसला ट्रैवल व्यवसाय को भुखमरी की ओर ले जाने को मजबूर कर रहा है.
चारधाम यात्रा स्थगित होने से ट्रैवल व्यवसायी परेशान उत्तराखंड मैक्सी टैक्सी महासंघ के संरक्षक संजय चोपड़ा का कहना है कि राज्य में कोविड- 19 की महामारी भी एक चुनौती के समान है. इस चुनौती के साथ-साथ उत्तराखंडवासियों का तीर्थाटन व पर्यटन व्यापार कैसे संचालित हो, इसके लिए राज्य सरकार को चिंतन करने की आवश्यकता है.
ट्रैवल व्यापारी गौरव भाटिया का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा कुंभ मेला का आयोजन कोरोना की नियम शर्तों के साथ कराया जा सकता है, तो उत्तराखंड में होने वाली चारधाम यात्रा को भी कोरोना नियमों के साथ शुरू करना चाहिए. सरकार को उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यापारियों की आर्थिक रूप से मदद करनी चाहिए.
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होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने मंत्री को सौंपा ज्ञापन
मसूरी में उत्तराखंड होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संदीप साहनी ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को ज्ञापन देकर प्रदेश सरकार द्वारा चार धाम यात्रा को स्थगित करने पर कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा को स्थगित नहीं बल्कि सुव्यवस्थित कर सुचारू करना चाहिए. चारधाम यात्रा पर कई लोगों की रोजी-रोटी निर्भर है. उत्तराखंड की रीड की हड्डी पर्यटन उद्योग है. अगर पर्यटन व्यवसाय प्रभावित हो जाएगा, तो इसका असर आम जन के साथ बड़े होटल और रेस्टोरेंट उद्योगपतियों पर भी पड़ेगा.
होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने मंत्री को सौंपा ज्ञापन उत्तराखंड होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने चारधाम यात्रा को कोरोना गाइडलाइन का पालन कराकर शुरू कराने की मांग की है. साथ ही एसोसिएशन ने प्रदेश सरकार द्वारा बिजली के बिलों के दरों में बढ़ोतरी की निंदा की है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि बिजली की बढ़ी दरों को तत्काल वापस लिया जाए. साथ ही इस साल के बिजली, पानी, हाउस टैक्स, सीवरेज, बार लाइसेंस और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की फीस को भी माफ किया. इसके अलावा होटलों में काम करने वाले प्रत्येक कर्मचारी की 6 महीने का वेतन सरकार वहन करे.