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शिव की बारात में ऐसे नाचे हनुमान कि सब कुछ भूले !, कीजिए बजरंग बली के दक्षिण मुखी दर्शन

जिस तरह हनुमान जी के महाबल की प्रसिद्धि है, उसी तरह उनकी भक्ति भी अद्वितीय मानी जाती है. जब शिवजी का विवाह हुआ था तो महाबली हनुमान भी बाराती थे. शिव की बारात में हनुमान जी इतना मदमस्त होकर नाचे थे कि बारात आगे बढ़ गई और वो नाचते रह गए. उस स्थान पर अब दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर है. आइए आज आपको बजरंगबली के इस विशेष मंदिर के दर्शन कराते हैं.

Haridwar Dakshin Mukhi Hanuman temples
दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर

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Published : Apr 12, 2022, 5:31 AM IST

हरिद्वार: उत्तराखंड में वैसे तो हनुमान जी के एक से बढ़कर एक मंदिर स्थापित हैं, लेकिन हरिद्वार स्थित श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा में हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर स्थित है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह मंदिर तब से विद्यमान है, जब भोलेनाथ की बारात में बाराती बनकर आए हनुमान, इस स्थान पर इतने मदमस्त होकर नाचे की बारात आगे निकल गई और हनुमान इसी स्थान पर रह गए. इस मंदिर में न केवल मंगलवार, बल्कि सप्ताह के सभी दिन भारी संख्या में श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचते हैं.

मंदिर की धार्मिक मान्यता: हनुमान जी का यह मंदिर दक्षिण मुखी हनुमान के नाम से न केवल देश बल्कि विदेशों में भी विख्यात है. श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार वैसे तो अपने आप में विशेष स्थान रखता है, लेकिन इसके अहाते में बना दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर अपने आप में अलग ही है. गंगा किनारे स्थापित इस हनुमान मंदिर की कथा भगवान शंकर व सती के विवाह से जुड़ी हुई बताई जाती है. भगवान शंकर की बारात वर्तमान श्यामपुर के गौरी शंकर महादेव मंदिर क्षेत्र से दक्ष नगरी कनखल के लिए जानी थी. गंगा को पार कर यह बारात हरिद्वार से होते हुए दक्ष नगरी जानी थी. रास्ते में भगवान भोले के तमाम गणों के साथ महावीर हनुमान भी बारात में शामिल थे.

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शिव की बारात में नाचे हुनमान जी: जब भगवान शंकर की बारात वर्तमान के निरंजनी अखाड़े में पहुंची तो वहां पर हनुमान जी इस कदर मदमस्त हुए कि उन्होंने नृत्य शुरू कर दिया. मान्यता है कि बारात के साथ चलने के बजाय हनुमान एक स्थान पर ही नाचते रह गए. साथ आए बारातियों ने उन्हें साथ चलने को कहा, लेकिन वे इस कदर मदमस्त हुए इसी स्थान पर नाचते-नाचते बैठ गए. भगवान शंकर की बारात भी उन्होंने छोड़ दी शास्त्रों के अनुसार तभी से इस स्थान पर राम भक्त हनुमान का वास है. यही कारण है कि यहां पर न केवल स्थानीय लोग रोजाना शीश नवाने आते हैं, बल्कि देश और दुनिया से लोग मन्नत पूरी होने पर हनुमान जी के दर्शन करने पहुंचते हैं.

होती है झाड़-फूंक: हनुमान जी के मंदिर में किसी पर भी हुए ओपरा (भूत-प्रेत) के असर को उतारने के लिए विशेष रूप से सप्ताह में 3 दिन झाड़-फूंक चलता है. उन लोगों को रोज झाड़-फूंक किया जाता है, जिनको इसकी आवश्यकता अधिक है. झाड़-फूंक करवाने के लिए सभी लोग पीड़ित को हनुमान जी के दर पर लेकर आते हैं.

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चालीस दिन पूजा का है विधान: इस मंदिर की मान्यता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में 40 दिन तक लगातार आकर सच्चे मन से हनुमान जी का ध्यान करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और तमाम परेशानियों से छुटकारा मिल जाता है.

पूरे सप्ताह जुटते हैं श्रद्धालु: इस मंदिर की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर केवल मंगलवार ही नहीं, बल्कि सप्ताह के अन्य दिनों में भी सुबह शाम लोग शीश नवाने आते हैं. गंगा किनारे स्थित इस दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर में लगभग पूरे ही दिन भक्तों का तांता लगा रहता है.

कैसे पहुंचे इस मंदिर तक: श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के मुख्य द्वार के पास स्थित इस प्राचीन मंदिर तक आने के लिए श्रद्धालुओं को पहले बस या ट्रेन से हरिद्वार आना होगा. हरिद्वार रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड से इस मंदिर की दूरी करीब 2 किलोमीटर है. यहां तक आने के लिए बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन से यात्री को रिक्शा या ऑटो में ₹50 देने होंगे. इसके अलावा यदि कोई दिल्ली, मुरादाबाद या देहरादून की तरफ से हरिद्वार आ रहा है तो उसे डाम कोठी पर आना होगा. यहां गंगा का पुल पार कर निरंजनी अखाड़े में यात्री आसानी से इस मंदिर में पहुंच सकते हैं.

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