हरिद्वार: उत्तराखंड में वैसे तो हनुमान जी के एक से बढ़कर एक मंदिर स्थापित हैं, लेकिन हरिद्वार स्थित श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा में हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर स्थित है, जिसके बारे में मान्यता है कि यह मंदिर तब से विद्यमान है, जब भोलेनाथ की बारात में बाराती बनकर आए हनुमान, इस स्थान पर इतने मदमस्त होकर नाचे की बारात आगे निकल गई और हनुमान इसी स्थान पर रह गए. इस मंदिर में न केवल मंगलवार, बल्कि सप्ताह के सभी दिन भारी संख्या में श्रद्धालु मत्था टेकने पहुंचते हैं.
मंदिर की धार्मिक मान्यता: हनुमान जी का यह मंदिर दक्षिण मुखी हनुमान के नाम से न केवल देश बल्कि विदेशों में भी विख्यात है. श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार वैसे तो अपने आप में विशेष स्थान रखता है, लेकिन इसके अहाते में बना दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर अपने आप में अलग ही है. गंगा किनारे स्थापित इस हनुमान मंदिर की कथा भगवान शंकर व सती के विवाह से जुड़ी हुई बताई जाती है. भगवान शंकर की बारात वर्तमान श्यामपुर के गौरी शंकर महादेव मंदिर क्षेत्र से दक्ष नगरी कनखल के लिए जानी थी. गंगा को पार कर यह बारात हरिद्वार से होते हुए दक्ष नगरी जानी थी. रास्ते में भगवान भोले के तमाम गणों के साथ महावीर हनुमान भी बारात में शामिल थे.
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शिव की बारात में नाचे हुनमान जी: जब भगवान शंकर की बारात वर्तमान के निरंजनी अखाड़े में पहुंची तो वहां पर हनुमान जी इस कदर मदमस्त हुए कि उन्होंने नृत्य शुरू कर दिया. मान्यता है कि बारात के साथ चलने के बजाय हनुमान एक स्थान पर ही नाचते रह गए. साथ आए बारातियों ने उन्हें साथ चलने को कहा, लेकिन वे इस कदर मदमस्त हुए इसी स्थान पर नाचते-नाचते बैठ गए. भगवान शंकर की बारात भी उन्होंने छोड़ दी शास्त्रों के अनुसार तभी से इस स्थान पर राम भक्त हनुमान का वास है. यही कारण है कि यहां पर न केवल स्थानीय लोग रोजाना शीश नवाने आते हैं, बल्कि देश और दुनिया से लोग मन्नत पूरी होने पर हनुमान जी के दर्शन करने पहुंचते हैं.