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महंत नरेंद्र गिरि ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद भंग होने का किया खंडन

महंत नरेंद्र गिरि ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को भंग करने की खबरों का खंडन किया है.उन्होंने कहा कि कुंभ कार्यों के पूरा न होने से तीनों बैरागी अखाड़ों में आवेश होना उचित है.

कुंभ मेला हरिद्वार 2021
कुंभ मेला हरिद्वार 2021

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Published : Feb 13, 2021, 3:03 PM IST

Updated : Feb 13, 2021, 4:10 PM IST

हरिद्वार: कुंभ मेला हरिद्वार 2021 की व्यवस्थाएं दुरुस्त न होने से नाराज और उत्तराखंड शासन पर तिरस्कार और उपेक्षा का आरोप लगाने के बाद शुक्रवार को बैरागी सम्प्रदाय के तीनों अखाड़ों ने दुखी मन से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का बहिष्कार कर दिया था और परिषद के भंग होने की बात कही थी. इसी मामले पर अब अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने परिषद के भंग होने का खंडन किया है.

अखाड़ा परिषद के भंग होने की बात को भ्रामक प्रचार बताते हुये महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि कुंभ कार्यों के पूरा न होने से तीनों बैरागी अखाड़ों में आवेश होना भी उचित है. लेकिन तीनों बैरागी अखाड़ों का परिषद से अलग होना असत्य है. महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि उनकी तीनों बैरागी सम्प्रदाय के अखाड़ों के श्री महंत से वार्ता हुई है. उनके द्वारा नियुक्त प्रतिनिधियों द्वारा आवेश में आकर इस तरह की बात कही गई है.

परिषद भंग होने का खंडन

महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि तीनों अखाड़ों के लिए होने वाली व्यवस्थाओं को लेकर मुख्यमंत्री और मेलाधिकारी से कई बार चर्चा की गई. मगर अभी तक किसी कारणवश व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं की गई हैं. इसमें सरकार और मेलाधिकारी की क्या मंशा है यह पता नहीं चल रहा है. मगर बैरागी सम्प्रदाय परिषद का अभिन्न अंग है जो कभी अलग नहीं हो सकता.

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महंत नरेंद्र गिरि ने शासन और प्रशासन पर आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि सरकार ने निर्णय अकेले लिया है. कुंभ मेला प्रशासन की मेले को आयोजित करने की या तो इच्छाशक्ति नहीं है या फिर सरकार चाहती है कि कोरोना की आड़ में कुंभ मेला आयोजित न किया जाए.

महंत नरेंद्र गिरि का यह भी कहना है कि अधिकारी खुद बैठक कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और इन प्रस्तावों को संतों पर थोपा जा रहा है. इस बारे में जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से वार्ता हुई तो उनका भी कहना है कि अधिकारियों को बैरागी अखाड़ों को सभी व्यवस्थाएं उपलब्ध करने के निर्देश उन्होंने दिये हैं. अधिकारी खुद बैठक कर कानून बता रहे हैं कि कुंभ में कथा नहीं होगी, पंडाल नहीं लगेगा, भंडारा नहीं होगा, तो कुंभ मेले के आयोजन का क्या औचित्य बचता है?

नरेंद्र गिरि का कहना है कि बैरागी समुदाय को उनका पूरा समर्थन है. 22 फरवरी को वो हरिद्वार पहुंचेंगे. वहां अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाई जाएगी. इस बैठक में कुंभ मेले की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के लिए एक सामूहिक निर्णय लिया जाएगा. संतों को नाराज कर कोई कार्य कुंभ में नहीं किया जा सकता.

क्या कहते हैं मेला अधिकारी ?

वहीं, मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि जल्द ही बैरागी अखाड़ों की व्यवस्था की जाएगी. अखाड़ों को जो भी सुविधाएं दी जानी हैं और यह पारंपरिक रूप से अखाड़ों को दी जाती हैं, वो सभी मूलभूत सुविधाएं जल्द अखाड़ों को दी जाएंगी. वहीं बैरागी अखाड़ों द्वारा टेंट लगाने को लेकर भी अपनी नाराजगी दर्ज कराई गई थी. इसको लेकर मेला अधिकारी का कहना है कि भारत सरकार की एसओपी में टेंट न लगाने की बात कही गई है जिसका पालन किया जाएगा.

सभी अखाड़ों को उत्तराखंड सरकार द्वारा एक-एक करोड़ रुपए दिए गये हैं और वह उन्हीं को दिए जा रहे हैं जिनकी अपनी संपत्ति हरिद्वार में है. यह पैसा स्थायी कार्यों में लगा है. बैरागी अखाड़ों द्वारा अनुरोध पत्र मिला है कि वह अभी जमीन हरिद्वार में नहीं खरीद सकते उसके लिए कुछ समय उन्हें चाहिए. इसके बाद वह पत्र शासन को भेजा गया है, जल्द ही कोई सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा.

Last Updated : Feb 13, 2021, 4:10 PM IST

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