हरिद्वारःआगामी कुंभ के लिए हो रहे स्थायी घाटों के निर्माण के चलते प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. जल वैज्ञानिकों और कई सामाजिक संस्थाओं में 2021 कुंभ के लिए हो रहे घाटों के निर्माण पर बहस शुरू हो गई है. 2021 में महाकुंभ का आगाज होना है, जिसके लिए सरकार द्वारा गंगा किनारे घाटों का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही कई घाट बन भी चुके हैं.
घाटों के निर्माण के चलते कई गंगा प्रेमी व जल वैज्ञानिकों का कहना है कि यह निर्माण गंगा ही नहीं, बल्कि हिंदुत्व की आस्था के साथ खिलवाड़ है. सरकार द्वारा आने वाले कुंभ की आड़ में करोड़ों रुपये की बंदरबाट की जा रही है. कल-कल बहती गंगा को अपने अस्तित्व की धाराओं को फैलाने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित रास्तों पर बहना पड़ रहा है. गंगा अपने रास्तों का निर्माण खुद करती है, लेकिन कुछ नासमझ लोग गंगा की धरोहर को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपये के घाटों का निर्माण किया जा चुका है, जिसका होना, न होने के बराबर है. गौरतलब है कि बीते दिनों हरिद्वार के चंडीघाट पुल के नीचे नमामि गंगे योजना के तहत करोड़ रुपये की लागत से स्थायी घाटों का निर्माण किया गया. स्थानीय लोगों के मुताबिक इन घाटों का कोई औचित्य नहीं है.