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महाकुंभ 2021: स्थायी घाटों के निर्माण पर उठ रहे सवाल, सरकार पर लगे गंभीर आरोप

2021 महाकुंभ को लेकर गंगा किनारे बन रहे स्थायी घाटों पर जल वैज्ञानिकों और कई सामाजिक संस्थाओं ने सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि इससे गंगा का अस्तित्व खतरे में पड़ेगा.

महाकुंभ
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Published : Jan 9, 2020, 12:01 PM IST

हरिद्वारःआगामी कुंभ के लिए हो रहे स्थायी घाटों के निर्माण के चलते प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं. जल वैज्ञानिकों और कई सामाजिक संस्थाओं में 2021 कुंभ के लिए हो रहे घाटों के निर्माण पर बहस शुरू हो गई है. 2021 में महाकुंभ का आगाज होना है, जिसके लिए सरकार द्वारा गंगा किनारे घाटों का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही कई घाट बन भी चुके हैं.

घाटों के निर्माण के चलते कई गंगा प्रेमी व जल वैज्ञानिकों का कहना है कि यह निर्माण गंगा ही नहीं, बल्कि हिंदुत्व की आस्था के साथ खिलवाड़ है. सरकार द्वारा आने वाले कुंभ की आड़ में करोड़ों रुपये की बंदरबाट की जा रही है. कल-कल बहती गंगा को अपने अस्तित्व की धाराओं को फैलाने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित रास्तों पर बहना पड़ रहा है. गंगा अपने रास्तों का निर्माण खुद करती है, लेकिन कुछ नासमझ लोग गंगा की धरोहर को रोकने का प्रयास कर रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपये के घाटों का निर्माण किया जा चुका है, जिसका होना, न होने के बराबर है. गौरतलब है कि बीते दिनों हरिद्वार के चंडीघाट पुल के नीचे नमामि गंगे योजना के तहत करोड़ रुपये की लागत से स्थायी घाटों का निर्माण किया गया. स्थानीय लोगों के मुताबिक इन घाटों का कोई औचित्य नहीं है.

स्थायी घाटों के निर्माण पर नाराजगी.

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि कुंभ में आने वाले श्रद्धालु हरकी पैड़ी पहुंचकर स्नान करते हैं, न कि प्रशासन द्वारा बनाए गए इन घाटों पर. इन घाटों के निर्माण से गंगा का अस्तित्व खतरे में है. वहीं मात्र सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद का कहना है कि सरकार निर्माण कार्यों की आड़ में अपनी जेब गर्म करने में लगी है. अगर निर्माण करना ही है तो यहां खराब पड़ी सड़कों का निर्माण किया जाए. कई सालों से हो रहे पुलों का निर्माण कार्य जल्द किया जाए. सरकार ऐसे किसी भी कार्य की तरफ ध्यान नहीं दे रही है जोकि आमजन मानस के लिए फायदेमंद हो. सरकार तो बेबुनियाद घाटों के निर्माण कार्यों की तरफ ध्यान दे रही है.

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वहीं इस मामले में जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि किसी भी नदी को अपने स्वरूप में ही रहने देना चाहिए. यदि कोई भी किसी धारा या नदी से छेड़छाड़ कर उसके रुख बदलने की कोशिश करता है तो उसके परिणाम सकारात्मक नहीं होते हैं गंगा के लिए अगर कुछ कार्य करना है तो उसके हृदय को मजबूत बनाना होगा, न कि आर्टिफिशल जबड़े लगाकर उसकी सौंदर्यता बढ़ाकर कुछ होगा.

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