हरिद्वार: ज्योतिष और शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का आज मंगल यात्रा के माध्यम से कुंभनगरी स्थित छावनी में प्रवेश हुआ. मंगल यात्रा ने हरिद्वार के परशुराम चौक से शुरू होकर शहर भ्रमण करते हुई नीलधारा में बने कुंभ छावनी में प्रवेश किया. जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की पेशवाई का आयोजन संन्यासी संतों के अग्नि अखाड़े और परशुराम अखाड़े द्वारा किया गया.
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने मंगल यात्रा के बाद किया छावनी प्रवेश दो पीठों ज्योतिष और द्वारिका के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती इन दिनों कुंभनगरी हरिद्वार में हैं. शंकराचार्य दो दिन पूर्व ही हरिद्वार कनखल स्थित अपने पीठ पहुंचे थे, जहां से आज उन्होंने कुंभ छावनी के लिए प्रस्थान किया. शंकराचार्य की कुंभ छावनी में प्रवेश के लिए संन्यासियों के अग्नि अखाड़े और ब्राह्मण सभा के श्रीपरशुराम अखाड़े ने एक मंगल यात्रा का आयोजन किया था.
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शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की मंगल यात्रा के संबंध में बताते हुए उनके परम शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती एक स्वतंत्रता सेनानी भी रहे हैं. आज 97 साल की उम्र में भी उन्होंने तीर्थ में स्नान का क्रम नहीं छोड़ा है, इसलिए श्रद्धालुओं को कुंभ में स्नान के लिए बढ़-चढ़कर आना चाहिए. उन्होंने कहा कि मंगल यात्रा के दौरान उनके द्वारा कोविड के नियमों का पालन किया गया है, इसलिए हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु भी कोविड के नियमों का पालन करते हुए गंगा स्नान को आएं.
वहीं, मंगल यात्रा के आयोजक श्रीपरशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि यह मंगल यात्रा राष्ट्र और धर्म को मिलाकर निकाली गई है. धर्म की रक्षा के लिये कोई भी हिन्दू युवक- युवती उनके अखाड़े में आकर तलवार, फरसा या मुगरी चलाना सीखना चाहता है तो वे उसे निःशुल्क सिखाएंगे.