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जयंती विशेष: संत आनंदमयी को मां मानती थीं इंदिरा, हार के बाद गोद में सिर रखकर रोई थीं

इमरजेंसी के बाद सत्ता में आने पर जनता पार्टी सरकार ने इंदिरा गांधी पर दर्जनों मुकदमे दर्ज किये थे. जिसके बाद निराश और हताश इंदिरा धर्मनगरी हरिद्वार के कनखल स्थित श्री श्री आनंदमयी आश्रम पहुंची थीं. यहां पहुंचकर उन्होंने मां आनंदमयी से मुलाकात की. इस दौरान संजय गांधी भी उनके साथ थे. बताया जाता है कि इस दौरान इंदिरा मां आनंदमयी की गोद में सिर रखकर बहुत रोई थीं.

हरिद्वार के आंनदमई आश्रम से इंदिरा गांधी को था खास लगाव

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Published : Oct 31, 2019, 7:43 PM IST

Updated : Nov 19, 2019, 2:03 PM IST

हरिद्वार:आज देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 102वीं जयंती है. 19 नवंबर को ही उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) में इंदिरा का जन्म हुआ था. आज उनके जन्मदिवस के मौके पर हम आपको तेज तर्रार और निडर इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़े एक किस्से के बारे में बताएंगे. आयरन लेडी के नाम से जानी जाने वाली स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया. उनके किये गये कामों और ऐतिहासिक फैसलों के कारण आज देशभर में लोग उन्हें याद कर रहे हैं. बात अगर हरिद्वार की करें तो यहां से उन्हें काफी लगाव था. यहीं कारण था कि वे अपने जीवनकाल में कई बार यहां आईं.

हरिद्वार के आंनदमयी आश्रम से इंदिरा गांधी को था खास लगाव

धर्मनगरी से इंदिरा गांधी की कई यादें जुड़ी हैं. वे अकसर यहां आया करती थीं. हरिद्वार से उन्हें आध्यात्मिक शक्ति के साथ-साथ राजनीतिक ताकत भी मिलती थी. 1977 में जनता पार्टी की लहर के समय इंदिरा गांधी और संजय गांधी दोनों ही लोकसभा चुनाव हार गए थे. जिसके बाद केंद्र से उनकी सत्ता भी चली गई थी. सत्ता में आने के बाद जनता पार्टी सरकार ने इंदिरा गांधी पर दर्जनों मुकदमे किये थे. जिसके बाद निराश व हताश इंदिरा धर्मनगरी हरिद्वार के कनखल स्थित श्री श्री आनंदमयी आश्रम पहुंची थीं. यहां पहुंचकर उन्होंने मां आनंदमयी से मुलाकात की. इस दौरान संजय भी उनके साथ थे.बताया जाता है कि इस दौरान आनंदमयी की गोद में सिर रखकर इंदिरा बहुत रोई थीं. आनंदमयी ने ढांढस बधांते हुए उन्हें हिम्मत दी थी. आंनदमायी और इंदिरा के इस प्यार और स्नेह का ही नतीजा था कि वे अकसर यहां आती रहती थीं.

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आनंदमयी आश्रम से था खास लगाव

आनंदमयी आश्रम के स्वामी अच्युतानंद गिरी का कहना है कि इंदिरा देहरादून और अल्मोड़ा में मां आनंदमयी के आश्रम में आती रहती थीं. मृत्यु के कुछ दिन पहले कमला नेहरू दिल्ली आश्रम में अपनी बेटी इंदिरा गांधी का हाथ मां आनंदमयी के हाथों में दे गई थीं. इस दौरान उन्होंने कहा था कि मेरी बेटी को अब अपनी बेटी समझना और उसकी रक्षा करना. तब से इंदिरा लगातार मां आनंदमयी की शरण में आती रहीं. जब भी कभी उन पर राजनीतिक संकट आया या फिर उन्होंने खुद को दुख से घिरा पाया तो वे तुरंत आनंदमयी के आश्रम पहुंचीं.

आनंदमयी से सलाह लेने आया करती थीं हरिद्वार
आनंदमयी आश्रम में सेवा करने वाले प्रणब कुमार नंदन का कहना है कि स्वर्गीय इंदिरा गांधी मां आनंदमयी के सामने नीचे बैठा करती थीं. जब राहुल और प्रियंका देहरादून में पढ़ते थे तब भी इंदिरा हमेशा यहां से गुजर कर ही उनसे मिलकर जाती थीं. मां आनंदमयी ने इंदिरा को एक रुद्राक्ष की माला दी थी, जिसे वे हमेशा पहने रहती थीं. जब साल 1982 में मां आनंदमयी ने अपना शरीर त्यागा तब भी इंदिरा गांधी हरिद्वार आई थीं. उन्हीं के हाथों से मां आनंदमयी की समाधि का कार्य संपन्न करवाया गया था. प्रणब कुमार नंदन ने बताया कि जब इंदिरा गांधी की मृत्यु हुई थी तो उन्होंने वहां जाकर कीर्तन किया था जिसके बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया.

शिव में थी इंदिरा की गहरी आस्था
श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा कनखल के सचिव और श्री दक्षेश्वर महादेव मंदिर के प्रबंधक रविंद्र सिंह का कहना है कि इंदिरा गांधी महंत श्री गिरिधर नारायण पुरी और मां आनंदमयी के कहने पर श्री दक्षेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक करती थीं. 1977 लोकसभा चुनाव की हार के बाद इंदिरा गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी एक साथ हरिद्वार आये थे. रवींद्र पुरी का कहना है कि स्वर्गीय इंदिरा गांधी भगवान शिव के प्रति काफी श्रद्धा रखती थीं. उन्होंने तीन बार दक्षेश्वर महादेव मंदिर में रुद्राभिषेक किया.

रविंद्र पुरी ने बताया कि जब उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने धर्म संस्कृत विभाग के माध्यम से एक विधेयक बनाया, जिसमें उस समय उत्तर प्रदेश के तमाम मंदिर राज्य सरकार के अधीन करने का प्रस्ताव था. तब संतों ने इसका विरोध किया. उस वक्त इंदिरा गांधी ने संतों को दिल्ली बुलाकर उनसे वार्ता की फिर जब वह हरिद्वार आईं और दक्षेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक किया, उसके बाद इस विधेयक को निरस्त करवाया गया.

Last Updated : Nov 19, 2019, 2:03 PM IST

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