हरिद्वार: हरिद्वार भले उत्तराखंड की राजधानी ना हो, लेकिन यह क्राइम की राजधानी जरूर बनती जा रही है. वैसे हरिद्वार धर्म और अध्यात्म की राजधानी होनी चाहिए थी, लेकिन हरिद्वार में धड़ल्ले से हो रहे अपराध और यहां के गली मोहल्लों में बिकने वाले मादक पदार्थ यहां की मान और मर्यादा को जरूर कलंकित करने के साथ पुलिसिया रुआब पर सवालिया निशान लगा रहे हैं.
प्रतिबंध के बावजूद हरिद्वार में बिकता है मांस: जिले में यदि सिर्फ हरिद्वार की बात की जाए तो यहां पर हर की पैड़ी जैसा पौराणिक और पवित्र स्थान होने के कारण इस पूरे इलाके को मांस मदिरा के लिए प्रतिबंधित किया गया है. लेकिन आलम यह है कि यहां पर न केवल शराब सुल्फा और गांजा धड़ल्ले से बिकता है, बल्कि हर की पैड़ी के आसपास के इलाकों में कई बार मांस बेचे जाने की भी पुष्टि हो चुकी है. मेन हरिद्वार से लगे हुए कनखल इलाके की यदि बात की जाए तो यहां की तंग गलियों में नशे का अवैध कारोबार पूरे धड़ल्ले से चलता है. आलम यह है कि शराब, सुल्फा और गांजा बेचने वाले हथियारों से भी लैस रहते हैं. इस बात का खुलासा कुछ दिन पूर्व उस समय हुआ जब कनखल थाने से चंद कदमों की दूरी पर एक शराब माफिया ने दूसरे को गोली मार दी थी. गनीमत यह रही कि उसकी जान बच गई, लेकिन इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली और इलाके में उसके रुतबे को जरूर सवालों के घेरे में ला दिया.
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हरिद्वार: चेन स्नेचिंग और बाइक चोरी गैंग का पर्दाफाश, तीन गिरफ्तार दिन दहाड़े चल जाती हैं गोलियां: सर्वाधिक संवेदनशील माने जाने वाले कोतवाली ज्वालापुर के इलाके में भी पुलिस की ढिलाई का यही हाल है. यहां पर दिनदहाड़े अराजक युवक गोलियां चलाने से भी परहेज नहीं करते. ऐसे ही एक ताजा मामले में नगर विधायक के घर से कुछ दूरी पर ही भाजपा के ही कुछ नेताओं के बीच हुई कहासुनी के बाद एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर गोलियां चला कर पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी. इस मामले में 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों में से 5 पर 10-10 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया गया था. लेकिन बड़ी बात यह रही कि आरोपियों में सभी नई उम्र के युवा थे. जिनमें से अभी भी छह आरोपी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाए हैं. दो इनामी युवक अभी भी लगातार पुलिस को छकाने में लगे हुए हैं.
दिखाने को होती है छापेमारी: शराब और सट्टे की बात करें तो कहने को तो पुलिस ने बीते कुछ दिनों में कई छापेमारी की कार्रवाई की. लेकिन कहीं पर भी चंद पव्वों के अलावा पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. जबकि बताया जाता है कि ज्वालापुर की कई ऐसी गलियां हैं, जहां पर न केवल धड़ल्ले से शराब की बिक्री होती है, बल्कि नशे का कारोबार यहां खुलेआम किया जाता है.
हरिद्वार को अपराधियों ने बनाया अपना अड्डा: हरिद्वार के शहरी इलाकों को छोड़ दें तो रानीपुर, सिडकुल, बहादराबाद, कलियर, लक्सर, खानपुर, मंगलौर, भगवानपुर और झबरेड़ा आदि इलाकों में भी अपराधियों के हौसले शहरी इलाकों से कम बुलंद नहीं हैं. इनमें से कई इलाकों में जहां दिन में गोलीकांड हो जाता है, वहीं रात में भी अपराधी सड़कों पर बेखौफ घूमते हैं. यह बात अलग है कि कई घटनाओं के बाद पुलिस इन वारदातों को खोल अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचा देती है. लेकिन सवाल यह है कि आखिर जिले में अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों होने दिए जाते हैं कि वह आपराधिक वारदातों को अंजाम दें. यदि समय रहते अपराधियों पर नकेल कसी जाए तो उनमें से किसी की भी हिम्मत अपराध को अंजाम देने की ना हो. मगर अधिकतर मामलों में देखा जाता है कि आपराधिक घटना घटित होने के बाद ही पुलिस एक्शन मोड में आती है. जबकि एसएसपी समय-समय पर सभी मातहतों को अलर्ट रहकर अपराध पर अंकुश लगाने के दिशा निर्देश सख्ती से देते रहते हैं.
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पंद्रह दिनों में यह रही दर्ज अपराधों की संख्या: चेन लूट की 2, लूट की 6, गृह भेदन की 3, वाहन चोरी की 24, अन्य चोरी की 28 घटनाएं दर्ज की गई हैं. यह आंकड़ा बीती एक अगस्त से पंद्रह अगस्त के बीच का है. 15 दिनों के बीच दर्ज की गई इन आपराधिक घटनाओं से इस बात का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरे साल में यह आंकड़ा कितना बड़ा हो जाता होगा और इसमें बहुत से ऐसे मामले भी हैं जो थानों में दर्ज ही नहीं किए जाते.
कई थानों ने बनाया नया ट्रेंड: आपराधिक घटनाएं होने पर अधिकारियों की फटकार से बचने के लिए कई थानों और कोतवाली पुलिस ने अब नया तरीका इस फटकार से बचने का निकाल लिया है. आपराधिक घटना होने पर अब उन्हें फटकार तो पड़ती नहीं, उल्टा शाबाशी मिलती है. यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कई थानों के प्रभारी अब आपराधिक घटना होने पर मुकदमा ही दर्ज नहीं करते. लेकिन उस पर वर्कआउट जरूर कर लेते हैं. आपराधिक घटना जैसे ही खुलती है तो यह प्रभारी अधिकारियों की गुड बुक में आने के लिए 1 दिन पहले घटना को हुआ बता कर तत्काल उसे खोल देते हैं. इससे वह न केवल अधिकारियों बल्कि मीडिया की भी वाहवाही लूटने का काम करते हैं.
नहीं दर्ज होते मामले: ऐसे बहुत से मामले थाने कोतवाली और चौकियों में दर्द ही नहीं होते जिन्हें दर्ज कराने के लिए फरियादी चक्कर काटता है. यही कारण है कि बीते कुछ समय से हरिद्वार में कोर्ट के आदेश पर दर्ज होने वाले मुकदमों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. इन मुकदमों पर यदि गौर किया जाए तो रोजाना ही कोर्ट से कई थानों को फटकार लगाने के बाद मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए जाते हैं. जिसके बाद कहीं जाकर पुलिस डायरी में यह मुकदमा दर्ज होते हैं.
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अधिकतर बड़ी घटनाओं का हुआ खुलासा: जिले में भले अपराधियों के हौसले बुलंद हों और लगातार आपराधिक घटनाएं भी बढ़ रही हों, लेकिन इसके बावजूद जिले में होने वाले अधिकतर बड़े मामले पुलिस एसओजी की मदद से खोलने में कामयाब रही है. चाहे लूट हो या फिर डकैती या फिर राहजनी, पुलिस ने वारदात के बाद आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने का काम जरूर किया है. हालांकि वाहन चोर अभी भी पुलिस के लिए एक बड़ा सरदर्द बने हुए हैं.