देहरादून/हरिद्वार: कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए भारत सरकार ने पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन की वजह से गरीब मजदूरों केस सामने भोजन का संकट खड़ा हो गया है. वहीं, हरिद्वार में कई तीर्थयात्री और गरीब मजदूर लोगों के लिए एक महिला मसीहा बन गई है. ईटीवी भारत उत्तराखंड के ब्यूरो चीफ किरण कांत शर्मा द्वारा सोशल मीडिया पर इन गरीब लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करने की अपील की गई थी. इस अपील पर हरिद्वार की रहने वाली वंदना गुप्ता ने एक मुहिम की शुरुआत की. हरिद्वार में कोई भी इंसान भूखा ना सोए इस मुहिम का असर अब हरिद्वार में देखने को मिल रहा है. आज हरिद्वार में कई लोग इन गरीबों के लिए भोजन की व्यवस्था कर रहे है. हरिद्वार में अब कोई भी भूखा नहीं सो रहा है. देखिए स्पेशल रिपोर्ट...
कुछ करने की लगन हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं होता. इसी को सार्थक किया है हरिद्वार की रहने वाली वंदना गुप्ता ने लॉकडाउन होने के बाद हरिद्वार में गरीब लोगों पर भोजन का संकट मंडराने लगा था. मगर वंदना गुप्ता ने लोगों के लिए ना सिर्फ भोजन की व्यवस्था की, बल्कि इस महिला को देखकर कई और लोग भी आगे आए. आज इन गरीब लोगों के लिए कई लोग भोजन की व्यवस्था कर रहे हैं. इस मुहिम को शुरू करने वाली वंदना गुप्ता का कहना है कि मैंने सोशल मीडिया पर ईटीवी भारत में कार्य करने वाले किरण कांत शर्मा की फेसबुक पर पोस्ट देखी. उनके द्वारा किसी गरीब को भोजन कराया गया.
तब वंदना ने सोचा कि जब एक पत्रकार यह कर सकता है तो एक आम महिला क्यों नहीं कर सकती. वंदना गुप्ता कहती है कि पहले मुझे थोड़ा डर भी लगा कि मेरे दो बच्चे हैं. यह वायरस काफी खतरनाक है. मगर मैंने घर में भोजन बनाया और फिर लोगों मे उसे बांटना शुरू किया. जब मैं बाहर गई तो मैंने देखा कई मजदूर लोग भोजन के लिए परेशान थे. हरिद्वार में कोई भी उनको भोजन नहीं करवा रहा था. प्रशासन द्वारा कहा गया था किसी को भी परेशानी नहीं होगी. उनको भोजन दिया जाएगा मगर प्रशासन भी एकदम से कोई कार्य नहीं कर सकता. इसी को देखते हुए मैंने शुरुआत की और आज भी लोगों को भोजन दे रही हूं. मेरे द्वारा की गई शुरुआत के बाद आज हरिद्वार शहर में कई लोग भोजन बांट रहे हैं.
वंदना गुप्ता का कहना है कि मेरे द्वारा लोगों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया में पोस्ट की गई थी की मेरे शहर हरिद्वार में कोई भी भूखा ना सोए. जिसका असर देखने को मिल रहा है. लोगों के लिए भोजन बनाने के लिए मेरे दो बच्चे भी मेरा सपोर्ट करते हैं. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं रोज इन गरीब लोगों को भोजन करा पाऊंगी. क्योंकि मेरी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है. मेरे पति की मौत हो चुकी है. मगर फिर भी मैंने इस मुहिम की शुरुआत की अब मेरे साथ कई लोग जुड़ गए हैं जो इस कार्य में मेरा साथ दे रहे हैं. इनका कहना है कि अब लोग मेरा इंतजार करते हैं दीदी आएगी और हमें भोजन करवाएगी.
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