स्पॉन्सरशिप नीति में संशोधन पर पुरोहितों ने जताई खुशी. हरिद्वारःपाकिस्तानी हिंदू भी अब अपने मृत परिजनों की अस्थियों को भारत ला सकेंगे और गंगा में विसर्जित कर सकेंगे. इसके लिए मोदी सरकार ने स्पॉन्सरशिप नीति में संशोधन किया है. स्पॉन्सरशिप नीति में संशोधन के फैसले का हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों ने स्वागत किया है. पुरोहितों का कहना है कि इससे हमारी संस्कृति को और बढ़ावा मिलेगा. जो लोग मां गंगा में आस्था रखते हैं, उनके लिए यह अच्छी खबर है. अब पाकिस्तानी हिंदुओं की अस्थियां हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित की जा सकेंगी.
बता दें कि हरिद्वार में गंगा को मोक्षदायिनी के नाम से भी जाना जाता है. करोड़ों हिंदुओं की आस्था मां गंगा से जुड़ी हुई है. दुनियाभर से हिंदू परिवार अपनों के निधन के बाद अस्थि विसर्जन करने के लिए हरिद्वार आते हैं. इनमें पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू भी शामिल हैं. वहीं, अगर आंकड़ों की बात की जाए तो हर साल पाकिस्तान से करीब 30 से ज्यादा अस्थियां विसर्जन के लिए हरिद्वार लाई जाती हैं, लेकिन अब वीजा प्रणाली में संशोधन के बाद उनकी संख्या बढ़ सकती है. इसके अलावा जो लोग मां गंगा में अपने परिजनों की अस्थियां विसर्जित करना चाहते हैं, वो भी भारत आ पाएंगे.
हरिद्वार के तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि पहले भी पाकिस्तान से लोग अपने परिजनों की अस्थियां लेकर हरिद्वार आया करते थे, लेकिन उनमें भारत में कोई रिश्तेदार होने का नियम लागू होता था. तभी उन्हें वीजा मिलता था, लेकिन अब इस संशोधन के कारण जो लोग मां गंगा में आस्था रखते हैं और अपने परिजनों की अस्थियां मां गंगा में विसर्जन करना चाहते हैं. वो भी भारत में आकर मां गंगा में अपने परिजनों की अस्थियां विसर्जित (Pakistani Hindu ashes immersion in Ganga) कर पाएंगे और उन्हें मोक्ष दिला पाएंगे.
वहीं, निर्मल अखाड़े के महंत कोठारी जसविंदर सिंह ने इसे ऐतिहासिक फैसला करार दिया है. उनका कहना है कि पाकिस्तान भी हमारा ही एक अंग है. वहां पर भी कई हिंदू परिवार रहते हैं. जो आज भी भारत से प्रेम करते हैं. मोदी सरकार के इस फैसले को ऐतिहासिक और सांप्रदायिक सौहार्द बताते हुए जसविंदर सिंह ने कहा कि इससे आपसी भाईचारा बढ़ेगा. जो नफरत दोनों मुल्कों के बीच में है, वो भी कम होगी. इसके अलावा जो लोग हिंदू धर्म से जुड़ना चाहते हैं, वो भी जुड़ पाएंगे.
स्पॉन्सरशिपनीति में बदलावःदरअसल, अब तक किसी भी पाकिस्तानी हिंदू तीर्थयात्री को बिना प्रायोजक के भारत में आने की अनुमति नहीं थी. पाकिस्तानी हिंदू अपने मृतक रिश्तेदार की अस्थियों को गंगा नदी में विसर्जित करने के लिए तभी ला सकता था, जब भारत में रहने वाले किसी रिश्तेदार या परिचित ने इसकी जिम्मेदारी ली हो. चूंकि, अधिकांश पाकिस्तानी हिंदुओं का भारत में कोई रिश्तेदार नहीं है, इसलिए मृत व्यक्ति की अंतिम इच्छा को पूरा करना मुश्किल था.
नरेंद्र मोदी सरकार ने स्पॉन्सरशिप नीति में संशोधन (Amendment in Sponsorship Policy) किया है, जिसके तहत अब पाकिस्तानी हिंदू मृतक का कोई रिश्तेदार 10 दिन के वीजा पर भारत आ सकता है और गंगा नदी में उसकी अस्थियां को विसर्जित कर सकता है. इस तरह पाकिस्तानी हिंदुओं की बड़ी और आखिरी इच्छा पूरी हो जाएगी. पाकिस्तान में अधिकांश हिंदुओं ने अपने रिश्तेदारों की अस्थियों को अलग-अलग मंदिरों में इस उम्मीद में संरक्षित किया है कि एक दिन उन्हें भारत जाकर गंगा नदी में उसे विसर्जित करने का मौका मिलेगा.
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