हरिद्वार: कुंभ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा मामले में हरिद्वार पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है. इस मामले में एसआईटी ने सोमवार को दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है. वहीं अब पुलिस की रडार पर पांच अन्य लोग हैं, जिन्हें जल्द पुलिस गिरफ्तार कर सकती है.
कुंभ कोरोना टेस्ट फर्जीवाड़ा मामले के दो मुख्य आरोपी शरद पंत और मल्लिका पंत को हरिद्वार पुलिस की एसआईटी ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है. इसके बाद सोमवार को हरिद्वार एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत ने प्रेस वार्ता की.
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इस दौरान हरिद्वार एसएसपी ने बताया कि पुलिस की रडार पर अभी पांच और लोग हैं. जिनकी जल्द ही गिरफ्तार की जाएगी. पुलिस ने मैक्स कॉर्पोरेट्स सर्विसेज कंपनी के पॉटर्नर शरत पंत और मल्लिका पंत को गिरफ्तार कर लिया है.
हरिद्वार एसएसपी ने बताया कि दोनों ने नियमों के विरुद्ध कुम्भ मेले में कोरोना टेस्ट करने का कॉन्ट्रैक्ट लिया था. इसके साथ ही इन्होंने फर्जी डाटा बनाकर करीब चार करोड़ रुपये का बिल मेला प्रशासन को भेजा था. जिसकी एवज में 15 लाख का भुगतान भी किया गया. आरोपी से पूछताछ में कई महत्वपूर्ण बातें सामने आई हैं. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.
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ये था मामला: हरिद्वार में हुए कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में घोटाला सामने आया था. कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया था.
एक किट से हुई 700 से अधिक सैंपलिंग: स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि एक ही एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी. इसके साथ ही टेस्टिंग लिस्ट में सैकड़ों व्यक्तियों के नाम पर एक ही फोन नंबर रजिस्टर्ड था. स्वास्थ्य विभाग की जांच में दूसरे लैब का भी यही हाल सामने आता है. जांच के दौरान लैब में लोगों के नाम-पते और मोबाइल नंबर फर्जी पाए गए. इसके बाद यह मामला साफ हो गया कि कुंभ मेले में फर्जी तरीके से कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव बनाकर आंखों में धूल झोंकने का काम किया गया है.
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करोड़ों रुपए का घोटाला: कुंभ के दौरान जो प्रदेश में दरें लागू थीं उसके अनुसार प्रदेश में एंटीजन टेस्ट के लिए निजी लैब को 300 रुपये दिए जाते थे, वहीं आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए तीन श्रेणियां बनाई गई थी. सरकारी सेटअप से लिए गए सैंपल सिर्फ जांच के लिए निजी लैब को देने पर प्रति सैंपल 400 रुपये का भुगतान करना होता है. निजी लैब खुद कोविड जांच के लिए नमूना लेती है तो उस सूरत में उसे 700 रुपये का भुगतान होता है. वहीं घर जाकर सैंपल लेने पर 900 रुपए का भुगतान होता है. इन दरों में समय-समय पर बदलाव किया जाता है. निजी लैब को 30 प्रतिशत भुगतान पहले ही किया जा चुका था.
ऐसे हुआ खुलासा: हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा ऐसे ही नहीं हुआ. स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं यह कहानी शुरू हुई पंजाब के फरीदकोट से. यहां रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल की वजह से कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खुल सकी. एलआईसी एजेंट विपन मित्तल को उत्तराखंड की एक लैब से फोन आता है, जिसमें यह कहा जाता है कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है', जिसके बाद विपन कॉलर को जवाब देता है कि उसका तो कोई कोरोना टेस्ट हुआ ही नहीं है तो रिपोर्ट भला कैसे निगेटिव आ गई. फोन आने के बाद विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी थी.
लेकिन स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए पीड़ित शख्स ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की. ICMR ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा था. उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच करायी तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. जांच में एक लाख कोरोना रिपोर्ट फर्जी पाए गए.
मैक्स कॉरर्पोरेट सोसाइटी, नलबा लैब और चंदानी लैब पर केस हुआ था: हरिद्वार में आयोजित महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की कोरोना जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था. हरिद्वार के तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी की तहरीर पर नगर कोतवाली में मैक्स कॉर्पोरेट सोसायटी के साथ नलवा लैब और डॉ. लाल चंदानी लैब सेंट्रल दिल्ली के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. वहीं तत्कालीन एसएसपी सेंथिल अबुदई कृष्णराज एस ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम का गठन किया था.
डेलफिशा लैब का संचालक आशीष वशिष्ठ हुआ था गिरफ्तार: एसआईटी ने भिवानी की डेलफिशा लैब के संचालक आशीष वशिष्ठ को गिरफ्तार किया था. उससे पूछताछ के बाद मैक्स कॉर्पोरेट सर्विस के पार्टनर शरद पंत और मल्लिका पंत के साथ हिसार की नलवा लैब के संचालक डॉ. नवतेज नलवा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी की कोशिशें शुरू कर दी गई थीं. लेकिन तीनों फरार चल रहे थे. एसआईटी ने आरोपियों की कुर्की के लिए कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया था.
चस्पा कर दिया था नोटिस: SIT ने शरद पंत और उनकी पत्नी मल्लिका पंत के नोएडा स्थित आवास पर मुनादी कराने के साथ ही नोटिस चस्पा किया था. इसके साथ ही हिसार में डॉ. नवतेज नलवा के आवास और लैब पहुंचकर मुनादी कराने के बाद नोटिस चस्पा कर दिया था. इस मामले की जांच कोतवाली प्रभारी अमरजीत सिंह कर रहे थे. इस बीच उनका तबादला गंगनहर कोतवाली हो गया था. इसके बाद नगर कोतवाली का चार्ज राकेंद्र कठैत को दिया गया था.