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उत्तराखंड में पहली बार चला जनसंंख्या नियंत्रण का चाबुक, तीसरी संतान होने पर सभासद बर्खास्त

उत्तराखंड में तीसरी संतान पैदा होने पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि की सदस्यता समाप्त किए जाने का पहला मामला सामने आया है. वार्ड नंबर 4 की सभासद नीता पांचाल की सदस्यता तीसरी संतान होने पर समाप्त कर दी गई.

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Published : Jul 14, 2021, 4:07 PM IST

जनप्रतिनिधि की सदस्यता हुई समाप्त
जनप्रतिनिधि की सदस्यता हुई समाप्त

लक्सर: देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून (population control law) को लेकर भले ही बहस छिड़ी हो, लेकिन लक्सर नगर पालिका (Laksar Municipality) की वार्ड नंबर 4 की सभासद नीता पांचाल की सदस्यता तीसरी संतान होने पर समाप्त कर दी गई. सचिव शहरी विकास (Secretary Urban Development) शैलेंद्र बगौली ने इसको लेकर आदेश जारी किया. नगर पालिका परिषद लक्सर के अधिशासी अधिकारी गोहर हयात ने इसकी जानकारी दी है.

जहां देश में जनसंख्या नियंत्रण कानून पर भले ही राजनीतिक बहस छिड़ी हो. लेकिन, उत्तराखंड में तीसरी संतान पैदा होने पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि की सदस्यता समाप्त किए जाने का यह पहला मामला सामने आया है. शहरी विकास विभाग (urban development department) ने लक्सर नगर पालिका परिषद (laksar Municipal Council) से वार्ड नंबर 4 की निर्वाचित सभासद नीता पांचाल को इसी आधार पर हटा दिया गया है.

बता दें कि स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों के लिए 2 जुलाई 2002 से अधिकतम दो संतान की शर्त लागू है. प्रदेश में नगर निकाय और पंचायतों में ऐसे व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकते हैं, जिनकी 2 जुलाई 2002 के बाद तीसरी संतान हुई हो. जबकि वार्ड नंबर 4 की सभासद नीता पांचाल के नगरपालिका परिषद के चुनाव के समय 20 अगस्त 2018 में दो ही बच्चे थे. जबकि, 2 सितंबर 2018 में बोर्ड की सदस्यता पाने के बाद 1 साल के भीतर ही उनको तीसरा बच्चा हुआ. ऐसे में उनके खिलाफ निर्वाचन की शर्त का उल्लंघन (Violation of the condition of election) करने की शिकायत जिलाधिकारी हरिद्वार के पास पहुंची थी.

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जिलाधिकारी ने मामले में जांच उप जिलाधिकारी लक्सर और नगर पालिका परिषद के जरिए कराई, जिसमें तत्कालीन उप जिलाधिकारी पूरन सिंह राणा और नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी गोहर हयात ने शिकायत सही पाने के बाद अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को दी थी.
अब शहरी विकास विभाग ने जिलाधिकारी हरिद्वार की रिपोर्ट के आधार पर नीता पांचाल की सदस्यता समाप्त कर दी है.

जांच में एसडीएम पूरन सिंह राणा ने पाया कि नगरपालिका परिषद के चुनाव के समय 20 अगस्त 2018 में नीता पांचाल के दो बच्चे थे. जबकि, 2 सितंबर 2018 में बोर्ड की सदस्यता पाने के बाद 1 साल के भीतर ही उनका तीसरा बच्चा हुआ है.

बता दें कि, नगर पालिका परिषद अधिनियम में हुए संशोधन के अनुसार पद ग्रहण के 300 दिन की अवधि के भीतर तीसरे बच्चे का जन्म होने पर सदस्यता वैध नहीं मानी जाती है. इस आधार पर एसडीएम पूरन सिंह राणा ने नीता पांचाल को पालिका बोर्ड की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिया था. एसडीएम राणा ने इसकी पुष्टि करते जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी थी. जिसके आधार पर कार्रवाई करते हुए नीता पांचाल की सदस्यता रद्द कर दी गई है.

दरअसल जनसंख्या नियंत्रण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की नई नीति की चर्चा के बीच केंद्र सरकार इस पर कानून लाने की तैयारी में कर रही है. राज्यसभा सांसदों के जरिए सदन में प्राइवेट मेंबर बिल पेश करके एक ऐसा दांव चला है जिससे कानून बनाने की तरफ बढ़ा जा सके. मॉनसून सत्र में इस बिल पर चर्चा होगी. इस पर वोटिंग भी कराई जा सकती है.

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